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सायरन, सन्नाटा और सुरंगें: जब 1971 में भारत ने ‘मॉक ड्रिल’ से युद्ध की तैयारी की थी

  सायरन, सन्नाटा और सुरंगें: जब 1971 में भारत ने ‘मॉक ड्रिल’ से युद्ध की तैयारी की थी: नई दिल्ली, 6 मई 2025 :  देश एक बार फिर उस मोड़ पर खड़...

 सायरन, सन्नाटा और सुरंगें: जब 1971 में भारत ने ‘मॉक ड्रिल’ से युद्ध की तैयारी की थी:

नई दिल्ली, 6 मई 2025 : देश एक बार फिर उस मोड़ पर खड़ा है जहां युद्ध की आशंका हवा में तैर रही है। पाकिस्तान की ओर से एलओसी पर लगातार गोलाबारी, और हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। 7 मई को पूरे देश में मॉक ड्रिल होगी, ठीक वैसे ही जैसे 1971 के युद्ध से पहले हुआ था।

1971 में जब भारत दो मोर्चों पर पाकिस्तान से भिड़ा था, तब गृह मंत्रालय ने पहली बार नागरिकों के लिए युद्ध अभ्यास का आदेश दिया था। रात में सायरन बजते ही लाइटें बंद कर दी जाती थीं, लोग गड्ढों (ट्रेंच) में छिप जाते थे, और शहरों को अंधेरे में ढक दिया जाता था ताकि दुश्मन के फाइटर प्लेन को कोई सुराग न मिले। इस 'ब्लैकआउट' और 'सिविल डिफेंस' की ट्रेनिंग ने लाखों नागरिकों को युद्ध के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार किया।


2025 में फिर वही जरूरत:

अब, 54 साल बाद, इतिहास खुद को दोहराता दिख रहा है। केंद्र सरकार ने 244 जिलों में मॉक ड्रिल के आदेश दिए हैं। छात्रों और नागरिकों को बताया जाएगा कि हमले की स्थिति में कैसे रिएक्ट करना है, कहां शरण लेनी है और किस तरह खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखना है।


पाकिस्तान से बढ़ता तनाव:

11 दिनों से पाकिस्तान की ओर से लगातार गोलीबारी हो रही है। 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की जान चली गई — यह 2019 के पुलवामा हमले के बाद का सबसे भयावह हमला था। प्रधानमंत्री मोदी ने दो टूक कहा है कि हमले के जिम्मेदारों को ऐसी सजा मिलेगी जो मिसाल बनेगी।


क्यों खास है यह मॉक ड्रिल?

1999 के कारगिल युद्ध या 2001 के ऑपरेशन पराक्रम के दौरान भी मॉक ड्रिल नहीं कराई गई थी। लेकिन अब सरकार ने तय किया है कि युद्ध केवल सेना नहीं, समाज भी लड़ता है। और इस युद्ध की तैयारी समाज को अब से ही शुरू करनी होगी।


1962 से सबक, 1971 की प्रेरणा:

भारत में सिविल डिफेंस का विचार 1962 के चीन युद्ध के दौरान आया था, लेकिन 1971 में इसे असली रूप मिला। उस वक्त हर गली में ट्रेंच थे, हर घर में अंधेरे की तैयारी। लोग रेडियो से अपडेट लेते, मोमबत्ती तक जलाने से मना किया गया — क्योंकि एक रौशनी दुश्मन को शहर तक पहुंचा सकती थी।

अब सरकार चाहती है कि जनता फिर से तैयार हो — न सिर्फ डर से, बल्कि हौसले से। क्योंकि यह सिर्फ एक मॉक ड्रिल नहीं, बल्कि देश के जज्बे की रिहर्सल है।

भारत तैयार है — हर मोर्चे पर, हर हाल में।




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