बस्तर बदल रहा है: 5 चौंकाने वाली बातें जो सरकार की नई रणनीति का खुलासा करती हैं बस्तर बदल रहा है: 5 चौंकाने वाली...
बस्तर बदल रहा है: 5 चौंकाने वाली बातें जो सरकार की नई रणनीति का खुलासा करती हैं
लेख - शुभांशु झा, 06/10/2025, जगदलपुर
बस्तर की बदलती पहचान
जब भी बस्तर का नाम आता है, तो मन में नक्सली संघर्ष, हिंसा और पिछड़ेपन की तस्वीरें उभरती हैं। लेकिन इस सतही कहानी के नीचे, केंद्र और राज्य सरकार मिलकर एक ऐसी बिसात बिछा रही हैं जो बस्तर के भविष्य को हमेशा के लिए बदल सकती है। यह सिर्फ गोलियों और विकास का खेल नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दांव-पेंच की एक जटिल रणनीति है। यह लेख उन पांच सबसे चौंकाने वाले और प्रभावशाली पहलुओं का खुलासा करेगा जो बस्तर की कहानी के इस नए अध्याय को परिभाषित कर रहे हैं।
1. सरकारी लिस्ट से 'नक्सल प्रभावित' टैग हटा, पर एक ट्विस्ट के साथ
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बस्तर जिले को वामपंथी उग्रवाद (LWE) से प्रभावित जिलों की सूची से हटाकर "लिगेसी डिस्ट्रिक्ट" (Legacy District) की श्रेणी में डाल दिया है। यह महज़ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक और वित्तीय दांव है। एक तरफ, यह 'सब कुछ सामान्य है' का संदेश देकर निवेशकों का विश्वास जीतना चाहता है, तो दूसरी तरफ, यह राज्य सरकार पर वित्तीय आत्मनिर्भरता के लिए दबाव भी बनाता है। यह कदम 31 मार्च, 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल-मुक्त बनाने के सरकार के घोषित लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।
2. लड्डू और छड़ी: इनाम और एनकाउंटर की दोधारी रणनीति
सरकार नक्सलवाद से निपटने के लिए एक स्पष्ट दो-आयामी रणनीति अपना रही है: प्रोत्साहन और निर्णायक कार्रवाई।
- नक्सल-मुक्त गांव: नक्सल मुक्त होने वाले हर गांव को 1 करोड़ रुपए का इनाम दिया जाएगा।
- नई सरेंडर पॉलिसी: आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए एक व्यापक पुनर्वास पैकेज पेश किया गया है। इसमें 50,000 रुपये नकद, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर, और विवाह के लिए 1 लाख रुपए का अनुदान शामिल है।
दूसरा पहलू "छड़ी" है, जिसमें सुरक्षा बल बीजापुर के कर्रेगुट्टा जंगल जैसे इलाकों में निर्णायक अभियान चला रहे हैं। सरकार ने बातचीत पर अपना रुख भी साफ कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट रूप से कहा है: "गोली और वार्ता साथ नहीं चल सकती।"
3. युद्ध क्षेत्र से निवेश का स्वर्ग: बस्तर के लिए बिछा रेड कार्पेट
- पर्यटन को उद्योग का दर्जा: पर्यटन क्षेत्र में निवेश करने पर 45% की सब्सिडी दी जाएगी।
- आत्मसमर्पित नक्सलियों को रोजगार: आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों को नौकरी देने पर उद्यमियों को पांच साल तक 40% सैलरी सब्सिडी मिलेगी।
- SC-ST उद्यमियों को प्रोत्साहन: एससी-एसटी वर्ग के उद्यमियों के लिए 10% अतिरिक्त सब्सिडी का प्रावधान है।
- वनोपज और कृषि उद्योग: वनोपज और कृषि-प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
4. विपक्ष के तीखे सवाल: क्या विकास के पीछे छिपे हैं बड़े सौदे?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के नेतृत्व में पार्टी ने सरकार की मंशा पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि विकास कॉर्पोरेट हितों को साधने का एक मुखौटा है। इसके अलावा, बैलाडीला जैसी महत्वपूर्ण खदानों की बिक्री, नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण, और वन अधिकार अधिनियम में किए गए संशोधनों पर भी चिंता जताई गई है, जो संभावित रूप से आदिवासियों के अधिकारों को कमजोर कर सकते हैं। भाजपा नेता रेणुका सिंह की टिप्पणियों ने इस राजनीतिक परिदृश्य को और जटिल बना दिया है।
5. बस, दरबार और सड़कें: दिल जीतने की एक नई कोशिश
सरकार की रणनीति केवल सुरक्षा और अर्थशास्त्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सांस्कृतिक जुड़ाव और अंतिम छोर तक विकास पहुंचाना भी शामिल है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का 145 साल पुरानी 'मुरिया दरबार' परंपरा में शामिल होना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
मुख्यमंत्री ग्रामीण बस सेवा योजना के पहले चरण में 34 नए बस मार्गों के माध्यम से बस्तर और सरगुजा क्षेत्रों के 250 गांव जोड़े गए। ये पहलें स्थानीय विश्वास और सद्भावना बढ़ाने के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
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