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"दीपक बैज ने धर्मांतरण किया? RSS से लौटते ही अरविंद नेताम का बड़ा आरोप, आदिवासी राजनीति में मचा भूचाल!"

"दीपक बैज ने धर्मांतरण किया? RSS से लौटते ही अरविंद नेताम का बड़ा आरोप, आदिवासी राजनीति में मचा भूचाल!" नागपुर/रायपुर :  देश की रा...


"दीपक बैज ने धर्मांतरण किया? RSS से लौटते ही अरविंद नेताम का बड़ा आरोप, आदिवासी राजनीति में मचा भूचाल!"

नागपुर/रायपुर : देश की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने एक चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा है कि उन्हें शक है कि पीसीसी चीफ दीपक बैज ईसाई धर्म अपना चुके हैं। यह बयान उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय से लौटने के बाद दिया है। उनके इस बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।

अरविंद नेताम हाल ही में नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में पहुंचे थे, जहां उन्होंने धर्मांतरण, आदिवासी समाज की चुनौतियों और नक्सलवाद जैसे गंभीर मुद्दों पर खुलकर बात की।


RSS को बताया धर्मांतरण रोकने का उपाय:

कार्यक्रम में बोलते हुए नेताम ने कहा,

> "मैं बस्तर से आता हूं। वहां नक्सलवादऔर धर्मांतरण जैसी दोहरी चुनौतियों से हमारा समाज जूझ रहा है। इन समस्याओं को लेकर कोई भी सरकार गंभीर नहीं है। ऐसे में मैंने यह सोचा कि संघ ही एकमात्र संस्था है जो इस दिशा में ठोस कदम उठा सकती है।"

नेताम ने संघ से अपील की कि वह धर्मांतरण रोकने के लिए अपने प्रयासों को तेज करे और आदिवासी समाज के साथ मिलकर इस संकट का हल निकाले।


दीपक बैज पर शक, बयान से सियासत गर्म:

जब मीडिया ने उनसे दीपक बैज के हालिया बयानों पर सवाल पूछा तो नेताम ने साफ शब्दों में कहा,

> "मुझे शक है कि दीपक बैज ईसाई समाज में कन्वर्ट हो गए हैं। उनके बयानों और व्यवहार में बदलाव साफ दिखता है।"

गौरतलब है कि दीपक बैज ने इससे पहले RSS पर निशाना साधते हुए कहा था कि संघ आदिवासियों का हितैषी नहीं हो सकता और उन्होंने नेताम के RSS से जुड़ाव पर भी सवाल उठाए थे।


RSS के साथ नेताम की नई राजनीतिक दिशा?

अरविंद नेताम का यह झुकाव केवल वैचारिक नहीं बल्कि रणनीतिक भी माना जा रहा है। कांग्रेस के पुराने नेता होने के बावजूद उनका संघ से यह जुड़ाव आने वाले समय में आदिवासी राजनीति की दिशा बदल सकता है।

इस पूरी घटना ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है, जहां धर्म, राजनीति और आदिवासी अस्मिता की तिकड़ी ने सियासी जमीन को हिला दिया है।




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