‘ भय बिनु होय ना प्रीति’: एयर मार्शल की हुंकार, चीन-पाक को दिया सख़्त संदेश: नई दिल्ली : भारत की वायुसेना किसी भी चुनौती से निपटने को तैय...
‘भय बिनु होय ना प्रीति’: एयर मार्शल की हुंकार, चीन-पाक को दिया सख़्त संदेश:
नई दिल्ली : भारत की वायुसेना किसी भी चुनौती से निपटने को तैयार है — यह संदेश आज सिर्फ तकनीकी ताकत से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आत्मबल से भी दिया गया। एयर मार्शल एके भारती ने 'तुलसीदास' की चौपाई पढ़ते हुए स्पष्ट कर दिया: "भय बिना प्रेम नहीं होता"।
भारतीय वायुसेना ने सोमवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में पाकिस्तान और चीन की साझा चुनौतियों का मुकाबला करने की पूरी तैयारी का प्रदर्शन किया। एयर मार्शल ने कहा, “हमारे सभी सैन्य अड्डे, सिस्टम और लोग पूरी तरह सक्रिय हैं। यदि भविष्य में किसी भी मिशन की आवश्यकता होती है, तो हम तत्पर हैं।”
चीन निर्मित मिसाइल और तुर्की ड्रोन की धज्जियाँ:
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पहली बार सार्वजनिक रूप से पीएल-15 एयर-टू-एयर मिसाइल का मलबा दिखाया गया — यह वही चीनी मिसाइल है जिसका पाकिस्तान ने हाल ही में भारत पर हमले में इस्तेमाल किया। इसके साथ ही भारतीय बलों द्वारा मार गिराए गए तुर्की-निर्मित YIHA और सोंगर ड्रोन के अवशेष भी प्रस्तुत किए गए।
भारतीय डिफेंस सिस्टम की ताकत उस समय साबित हुई जब स्वदेशी विकसित सॉफ्ट और हार्ड किल काउंटर-UAS सिस्टम्स और वायु रक्षा कर्मियों ने इन खतरों को समय रहते निष्क्रिय कर दिया।
‘यह बिल्ली-चूहे का युद्ध है:
वर्तमान संघर्षों को परिभाषित करते हुए एयर मार्शल ने कहा, “यह पारंपरिक युद्ध नहीं, बल्कि बिल्ली और चूहे का खेल है। हमें दुश्मन से एक कदम आगे रहना ही होगा।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले समय के युद्ध इस बार से पूरी तरह अलग होंगे — और भारत इसके लिए तैयार है।
किराना हिल्स विवाद पर स्पष्टता:
हाल ही में उभरे किराना हिल्स पर हमले की अफवाहों पर विराम लगाते हुए भारती ने कहा, “हमें पता ही नहीं था कि वहां कुछ परमाणु प्रतिष्ठान हैं। हमने किराना हिल्स पर कोई हमला नहीं किया है — न ही उसका कोई इरादा था।”
चौपाई के पीछे की रणनीति: मनोबल और संदेश:
जब दिनकर और तुलसीदास की पंक्तियों को इस प्रस्तुति में शामिल करने की वजह पूछी गई, तो एयर मार्शल ने साफ़ कहा: “तीन दिन विनती करने के बाद भी जब समुद्र नहीं माना, तब प्रभु राम ने क्रोध दिखाया। यह दिखाता है कि जब सभी विनम्रता असफल हो जाए, तो शक्ति प्रदर्शन जरूरी है।”
भारत ने आज सिर्फ हथियारों की ताकत नहीं दिखाई, बल्कि यह भी बताया कि सांस्कृतिक चेतना और रणनीतिक दृढ़ता मिलकर कैसे एक असाधारण रक्षा कवच तैयार करती है।
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