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रीएजेंट घोटाला: खून जांचने की 768 मशीनों को जानबूझकर बिगाड़ा, शशांक ने मांगे 400 करोड़

  रीएजेंट घोटाला: खून जांचने की 768 मशीनों को जानबूझकर बिगाड़ा, शशांक ने मांगे 400 करोड़: रायपुर: मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था को हिला...

 रीएजेंट घोटाला: खून जांचने की 768 मशीनों को जानबूझकर बिगाड़ा, शशांक ने मांगे 400 करोड़:

रायपुर: मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था को हिला देने वाला रीएजेंट घोटाला एक और सनसनीखेज मोड़ पर आ गया है। इस घोटाले के मास्टरमाइंड और मोक्षित कंपनी के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा पर आरोप है कि उसने राज्य के 768 स्वास्थ्य केंद्रों की खून जांचने वाली मशीनों को जानबूझकर बिगाड़ दिया, ताकि सरकार पर दबाव बनाकर 400 करोड़ रुपये वसूले जा सकें।

सूत्रों के अनुसार, शशांक की कंपनी को सरकार से पुराने बकाया भुगतान नहीं मिल रहा था। ऐसे में उसने एक सुनियोजित साजिश के तहत अपने इंजीनियरों को भेजकर राजधानी सहित पूरे प्रदेश में मशीनों को जानबूझकर तकनीकी रूप से निष्क्रिय करवा दिया। यह सब कुछ छह महीने पहले शुरू हुआ, जब कंपनी के इंजीनियरों ने हेल्थ सेंटरों में जाकर मशीनों में छेड़छाड़ की।

स्वास्थ्य विभाग को जब इसका पता चला, तब तक कई मशीनें काम करना बंद कर चुकी थीं, जिससे आम मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। खासतौर पर ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में जहां केवल सरकारी केंद्रों पर ही खून जांच की सुविधा है, वहां हालात बेहद खराब हो गए।

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि शशांक ने इसके बाद विभाग पर दबाव बनाना शुरू किया और 400 करोड़ रुपये की मांग की। विभाग ने जब भुगतान से इनकार किया, तो जांच बैठाई गई। जांच में सामने आया कि मशीनें किसी सामान्य तकनीकी खराबी से नहीं, बल्कि जानबूझकर किए गए हस्तक्षेप के कारण खराब हुई थीं।

अब इस मामले की आपराधिक जांच शुरू हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग ने मोक्षित कंपनी के साथ अपना अनुबंध स्थगित कर दिया है और संबंधित इंजीनियरों व अधिकारियों से पूछताछ की जा रही है। साथ ही यह भी जांच हो रही है कि विभाग के भीतर से किसी ने इस साजिश में सहयोग तो नहीं किया।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह घोटाला सिर्फ वित्तीय नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर अपराध है। इससे न सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी हुई, बल्कि हजारों मरीजों की जान भी जोखिम में डाली गई।

यह घोटाला राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है।



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