वन विभाग की मनमानी: किसान की निजी ज़मीन पर बना डाला तालाब, जंगल को भी पहुंचाया नुकसान: जगदलपुर : छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के करपावंड वन परिक...
वन विभाग की मनमानी: किसान की निजी ज़मीन पर बना डाला तालाब, जंगल को भी पहुंचाया नुकसान:
जगदलपुर : छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के करपावंड वन परिक्षेत्र में वन विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। 'नरवा विकास योजना' के तहत प्रस्तावित तालाब निर्माण में विभाग ने न केवल नियमों को ताक पर रखा, बल्कि एक गरीब किसान की निजी ज़मीन को भी हड़प लिया।
किसान की ज़मीन, जंगल की तबाही:
घटना करपावंड के सतोषा चालन गुड़ा बीट की है, जहाँ डिमरापाल नाले पर प्रस्तावित डैम के लिए स्वीकृत 30 लाख 52 हजार रुपये की परियोजना को असली जगह की बजाय कक्ष क्रमांक 1174 पर बना दिया गया। इस ज़मीन पर किसान बुदरू कश्यप का मालिकाना हक है — जिसके पास वैध पट्टा भी मौजूद है। निर्माण के चलते न केवल उसकी खेती प्रभावित हुई है, बल्कि आसपास का हराभरा जंगल भी बर्बाद हो गया।
वादे और प्रलोभन, पर न मुआवज़ा:
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि तालाब निर्माण से पहले उन्हें मछली पालन और अन्य लाभों का प्रलोभन दिया गया था। रेंजर और डिप्टी रेंजर ने खुद वादा किया कि एक साल तक सहायता दी जाएगी, पर न कोई मछली पालन हुआ, न कोई सहायता मिली। किसान बुदरू का कहना है — "मेरी ज़मीन में जबरन तालाब बना दिया गया। आज तक कोई मुआवज़ा नहीं मिला।"
शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई:
ग्रामीणों ने इस गंभीर मामले की लिखित शिकायत जिला वन अधिकारी (DFO) को दी, लेकिन महीनों बीतने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब ग्रामीणों ने वन मंत्री केदार कश्यप और जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है। वे दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।
सुशासन तिहार के बीच सवाल:
राज्य सरकार इन दिनों मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में ‘सुशासन तिहार’ मना रही है, जिसमें पारदर्शिता और जवाबदेही के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन बस्तर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में हो रहे इस तरह के घोटालों पर सरकार की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।
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