हमले का रणनीतिक महत्व: पहलगाम जैसे पर्यटन क्षेत्र में आतंकवादी हमला केवल जान-माल की क्षति तक सीमित नहीं है — इसका उद्देश्य अस्थिरता फैलान...
हमले का रणनीतिक महत्व:
पहलगाम जैसे पर्यटन क्षेत्र में आतंकवादी हमला केवल जान-माल की क्षति तक सीमित नहीं है — इसका उद्देश्य अस्थिरता फैलाना, पर्यटन को नुकसान पहुँचाना और भारत की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देना भी है। ऐसे हमले आम तौर पर सीमा पार से संचालित आतंकवाद से जोड़े जाते हैं, जिससे भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव और गहराता है।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव:
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भारत: राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियाँ सतर्क हैं; सीमा पर गश्त तेज़ की गई है। जनमानस में रोष है, जिससे सरकार पर जवाबी कार्रवाई का दबाव है।
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पाकिस्तान: वह आतंकवाद से पल्ला झाड़ने की कोशिश करता है, लेकिन भारत आरोपों के साथ ठोस सबूत पेश करता रहा है।
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दुनिया: अमेरिका, रूस और ब्रिटेन जैसे देशों की यात्रा चेतावनी इस बात का संकेत है कि दुनिया इस संकट को अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा मान रही है।
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चीन और ईरान: चीन चुप है, जबकि ईरान ने मध्यस्थता का प्रस्ताव देकर खुद को एक निष्पक्ष शक्ति के रूप में पेश किया है।
परमाणु तनाव का जोखिम:
दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं — इस कारण हर सैन्य झड़प की एक सीमा होती है जिसे पार नहीं किया जा सकता। लेकिन इस सीमित युद्ध की नीति में भी गलत आकलन की भारी कीमत हो सकती है।
संभावित समाधान और आगे का रास्ता:
1. उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय वार्ता:
भारत और पाकिस्तान को चाहिए कि NSA स्तर पर बातचीत बहाल करें — सीमित दायरे में लेकिन खुले संवाद से।
2. अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का स्वागत:
ईरान या संयुक्त राष्ट्र जैसे मध्यस्थों को पारदर्शी संवाद मंच बनाने दिया जाए, जहाँ दोनों पक्ष सुरक्षा चिंताओं और सबूतों को साझा करें।
3. सीमापार आतंकवाद पर वैश्विक दबाव:
संयुक्त राष्ट्र को चाहिए कि वह पाकिस्तान पर FATF स्तर पर और अधिक दबाव बनाए, ताकि वह आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करे।
4. मीडिया और सोशल मीडिया संयम:
दोनों देशों के मीडिया को चाहिए कि वे असत्यापित सूचनाओं और भड़काऊ भाषा से परहेज़ करें। इससे युद्धोन्माद को रोका जा सकता है।
5. ट्रैक-2 डिप्लोमेसी और नागरिक संवाद:
बौद्धिक, शांति कार्यकर्ताओं और व्यापारिक समुदाय के स्तर पर Track-2 diplomacy को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे निचले स्तर पर भरोसा बहाली हो सके।
निष्कर्ष:
भारत और पाकिस्तान के बीच हर आतंकी घटना केवल सुरक्षा संकट नहीं, बल्कि भविष्य की शांति की परीक्षा भी है। आज ज़रूरत है साहसिक कूटनीति, पारदर्शिता और सतर्कता की — ताकि दक्षिण एशिया केवल एक संघर्ष क्षेत्र नहीं, बल्कि सह-अस्तित्व और सहयोग का उदाहरण बन सके।
"लेखक: शुभांशु झा, Global Vision आईटी कंपनी, 4th Column NEWS, और VBFC Welfare Foundation के संस्थापक (Founder) होने के साथ-साथ विकसित भारत के लिए सभी संभव प्रयासों के प्रति समर्पित विचारक और कार्यकर्ता हैं।"
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