दावे और हकीकत: नई नीति से सुधरेगी शिक्षा या और बिगड़ेगा हाल? रायपुर : प्रदेश सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत स्कूलों और शिक...
दावे और हकीकत: नई नीति से सुधरेगी शिक्षा या और बिगड़ेगा हाल?
रायपुर : प्रदेश सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (rationalization) की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है। दावा है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता सुधरेगी, स्कूल नहीं बंद होंगे और संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा। मगर जमीनी सच्चाई कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
हकीकत ये है:
प्रदेश के 7127 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक पदस्थ हैं।
260 प्राइमरी और मिडिल स्कूल ऐसे हैं जहां कोई शिक्षक ही नहीं है।
कुल मिलाकर, 30,700 स्कूलों में अभी भी पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं।
नियमों के अनुसार हर 60 बच्चों पर दो शिक्षक जरूरी हैं, लेकिन बड़ी संख्या में स्कूलों में यह अनुपात नहीं मिल पा रहा।
क्या कहती है सरकार?
सरकार का तर्क है कि शिक्षक जहां जरूरत है वहां भेजे जा रहे हैं, जिससे उनका समान उपयोग हो सके। "कोई भी स्कूल बंद नहीं होगा, बल्कि संसाधनों का सही वितरण होगा जिससे छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी," ऐसा शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है।
मगर शिक्षक संघों का विरोध:
शिक्षक संघों और शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम शिक्षक संख्या की भारी कमी को छिपाने का प्रयास है। बिना पर्याप्त स्टाफ के, स्कूलों का आपस में विलय करना या एक ही शिक्षक पर कई जिम्मेदारियां डालना शिक्षा के स्तर को और गिरा सकता है।
छात्र और अभिभावक चिंता में:
कई गांवों में स्कूलों के दूर होने से बच्चों की उपस्थिति में गिरावट आने लगी है। एक ही शिक्षक के भरोसे स्कूल चलाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
सवाल उठते हैं:
क्या युक्तियुक्तकरण केवल आंकड़ों की बाजीगरी है?
क्या सरकार NEP के नाम पर शिक्षा ढांचे को कमजोर कर रही है?
क्या बच्चों के भविष्य को लेकर गंभीर चिंतन हो रहा है?
फिलहाल, शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के
नाम पर चल रही यह कवायद अपने उद्देश्य से भटक
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