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नॉन-एल्कोहॉलिक लीवर रोग तेजी से बढ़ा, वजह- मोटापा, डायबिटीज और बिगड़ती जीवनशैली

  नॉन-एल्कोहॉलिक लीवर रोग तेजी से बढ़ा, वजह- मोटापा, डायबिटीज और बिगड़ती जीवनशैली: रायपुर: 19 अप्रैल को विश्व लीवर दिवस मनाया जाता है। इस द...

 

नॉन-एल्कोहॉलिक लीवर रोग तेजी से बढ़ा, वजह- मोटापा, डायबिटीज और बिगड़ती जीवनशैली:

रायपुर: 19 अप्रैल को विश्व लीवर दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मकसद है—लीवर की सेहत को लेकर जागरूकता फैलाना। अक्सर लोग मानते हैं कि लीवर की बीमारी सिर्फ शराब पीने वालों को होती है। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है।

छत्तीसगढ़ समेत देशभर में नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लीवर डिजीज (NAFLD) के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। डॉक्टरों के मुताबिक, यह बीमारी अब एक ‘साइलेंट एपिडेमिक’ बनती जा रही है।


क्या है वजह?

मोटापा: शरीर में फैट ज्यादा होने से लीवर पर असर पड़ता है।

डायबिटीज: हाई ब्लड शुगर लीवर को नुकसान पहुंचाता है।

बैठे रहने की आदत और गलत खानपान भी बड़ी वजह बन रहे हैं।

नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लीवर डिजीज में लीवर में फैट जमा हो जाता है, लेकिन शराब से नहीं, बल्कि मेटाबॉलिक गड़बड़ियों से। यह शुरुआत में लक्षण नहीं देता, लेकिन समय पर इलाज न मिले तो लीवर सिरोसिस और यहां तक कि कैंसर तक का खतरा हो सकता है।


विशेषज्ञों की सलाह:

रोज़ाना कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी करें।

हेल्दी डाइट लें और प्रोसेस्ड फूड से बचें।

वजन नियंत्रित रखें और नियमित जांच कराएं।

इस विश्व लीवर दिवस पर जरूरी है कि हम लीवर को लेकर अपनी सोच बदलें। यह सिर्फ शराब से जुड़ी बीमारी नहीं है। आज की लाइफस्टाइल में हर किसी को लीवर की फिक्र करने की जरूरत है।




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