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बिलासपुर के 59 गांव अपराध मुक्त, 20 साल से थाने की जरूरत नहीं पड़ी

  बांका और बम्हीखुर्द पंचायतों में आपसी समझ से सुलझते हैं विवाद, आदिवासी समाज की मिसाल: बिलासपुर :  जिले के रतनपुर और सीपत थाना क्षेत्र के 5...

 

बांका और बम्हीखुर्द पंचायतों में आपसी समझ से सुलझते हैं विवाद, आदिवासी समाज की मिसाल:

बिलासपुर : जिले के रतनपुर और सीपत थाना क्षेत्र के 59 गांवों ने कानून-व्यवस्था को लेकर एक नई मिसाल कायम की है। इनमें से बांका और बम्हीखुर्द जैसे गांव ऐसे हैं, जहां पिछले 20 सालों में न तो कोई एफआईआर दर्ज हुई और न ही किसी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।

इन गांवों में 95% से ज्यादा आबादी आदिवासी समुदाय की है, जो आपसी समझदारी और पंचायत व्यवस्था के जरिए हर विवाद को गांव में ही सुलझा लेते हैं। जमीन विवाद से लेकर पारिवारिक झगड़े तक, हर मामले का निपटारा ग्रामसभा करती है—और फैसले का सम्मान हर पक्ष करता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि थाने या कोर्ट-कचहरी में उलझने से बेहतर है, बात को शांति से सुलझाया जाए। यही सोच गांवों को अपराध मुक्त बनाए हुए है।

यह मॉडल न केवल सामाजिक एकता को मजबूत करता है, बल्कि पुलिस और न्याय व्यवस्था पर दबाव भी कम करता है। प्रशासन भी अब इन गांवों के कामकाज की सराहना कर रहा है और बाकी इलाकों के लिए इसे प्रेरणा मान रहा है।

यह साबित करता है कि आपसी भरोसे और परंपरा से भी समाज सुरक्षित और शांतिपूर्ण रह सकता है।


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