वैश्विक शांति के लिए भारत का ‘4C सूत्र’: परामर्श, सहयोग, समन्वय और क्षमता-वृद्धि — रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नई दिल्ली, 14 अक्ट...
वैश्विक शांति के लिए भारत का ‘4C सूत्र’: परामर्श, सहयोग, समन्वय और क्षमता-वृद्धि — रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर 2025। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र (UN) के शांति अभियानों में उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए “Consultation, Cooperation, Coordination और Capacity Building” यानी 4C सूत्र को मार्गदर्शक सिद्धांत बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्नत तकनीकी और वित्तीय क्षमताओं वाले देशों को शांति अभियानों की स्थिरता के लिए अधिक सहयोग देना चाहिए।
राजनाथ सिंह UN Troop Contributing Countries (UNTCC) Chiefs’ Conclave के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे, जो पहली बार भारत में 14-16 अक्टूबर 2025 तक नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में आयोजित हो रहा है। इस उच्चस्तरीय सम्मेलन में 32 देशों के सैन्य प्रमुख शामिल हैं।
“सुधारित बहुपक्षवाद” की आवश्यकता
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज के जटिल सुरक्षा परिदृश्य में बहुपक्षीय संस्थाओं को समयानुकूल सुधार की जरूरत है। “हम बीते युग की संरचनाओं से आज की चुनौतियों का समाधान नहीं कर सकते। संयुक्त राष्ट्र में समग्र सुधार आवश्यक है ताकि वह वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करे, सभी हितधारकों को आवाज दे, समसामयिक चुनौतियों का समाधान करे और मानव कल्याण पर केंद्रित रहे।”
भारत का योगदान: 2.9 लाख सैनिक 50 से अधिक मिशनों में
उन्होंने बताया कि भारत अब तक 50 से अधिक UN शांति अभियानों में लगभग 2,90,000 सैनिकों की भागीदारी से विश्व स्तर पर सम्मान अर्जित कर चुका है। “हमारी सेनाओं ने कांगो से कोरिया और दक्षिण सूडान से लेबनान तक अपनी वीरता और करुणा से मिशनों की सफलता सुनिश्चित की है,” उन्होंने कहा।
‘आत्मनिर्भर भारत’ से विश्व शांति को तकनीकी सहयोग
राजनाथ सिंह ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत के तहत भारत ने कम लागत वाले स्वदेशी समाधान विकसित किए हैं — जैसे land mobility platforms, surveillance systems, UAVs और secure communication systems — जो शांति अभियानों को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाते हैं।
भारतीय महिला शांति रक्षक: वैश्विक सशक्तिकरण का प्रतीक
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय महिला अधिकारियों की भूमिका आज विश्वभर में प्रेरणा का स्रोत है। “2007 में लाइबेरिया में तैनात हमारी ऑल-वूमेन पुलिस यूनिट ने सशक्तिकरण का वैश्विक प्रतीक स्थापित किया। आज दक्षिण सूडान, गोलान हाइट्स और लेबनान में भारतीय महिला अधिकारी स्थानीय समुदायों से जुड़कर मिशन को मानवीय और विश्वसनीय बना रही हैं,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि 2024 में एक भारतीय महिला अधिकारी को UN Military Gender Advocate of the Year Award से सम्मानित किया गया।
मानवता की सेवा में भारतीय मेडिकल टीमें
रक्षा मंत्री ने कहा कि अफ्रीका के विभिन्न मिशनों में भारतीय चिकित्सा दलों ने हजारों नागरिकों और शांति सैनिकों का इलाज किया है। “वे कठिन परिस्थितियों में भी मानवीय सेवा का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं,” उन्होंने कहा।
“विश्वगुरु” बनने की भावना — वर्चस्व नहीं, समावेशी प्रगति
उन्होंने कहा, “भारत की ‘विश्वगुरु’ बनने की आकांक्षा किसी प्रभुत्व की नहीं, बल्कि सहयोग और साझा प्रगति की है। महात्मा गांधी की भूमि भारत में शांति हमारे दर्शन में निहित है — जहां अहिंसा और सत्य ही शक्ति हैं।”
“कुछ देश आज अंतरराष्ट्रीय नियमों की अवहेलना कर रहे हैं, जबकि भारत पुराने ढाँचों में सुधार की वकालत करते हुए rules-based international order का पालन करता है,” रक्षा मंत्री ने कहा।
भारतीय सेना का नेतृत्व और वैश्विक सहभागिता
सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने अपने स्वागत भाषण में भारत की दीर्घकालिक शांति अभियानों में भूमिका को रेखांकित किया और तकनीकी नवाचार व प्रशिक्षण में भारतीय सेना की भूमिका पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर CDS जनरल अनिल चौहान, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह और UN के अंडर-सेक्रेटरी जीन पियरे लाक्रोइक्स सहित कई देशों के सैन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।
सम्मेलन में शांति अभियानों की चुनौतियों, तकनीकी नवाचार, प्रशिक्षण और अंतर-देशीय सहयोग पर चर्चा की जा रही है, जो “वसुधैव कुटुम्बकम्” के भारतीय दर्शन को मूर्त रूप देता है।
इसे भी पढ़ें:
👉 हमारे WhatsApp चैनल से जुड़ें और ताज़ा अपडेट सबसे पहले पाएं:
🔗 https://whatsapp.com/channel/0029VaOdIG1KgsNw0WURCY0T
कोई टिप्पणी नहीं