— डॉ. रूपेन्द्र कवि मानवविज्ञानी, साहित्यकार एवं परोपकारी विचारक डॉ. ए. पी. जे...
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम: मेरे जीवन के अमर प्रेरणा स्रोत
आज जब हम भारत रत्न, मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की जयंती मना रहे हैं, तो यह केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि एक ऐसे युगपुरुष को स्मरण करने का अवसर है...
मुझे आज भी अपने पिता के शब्द याद आते हैं, जब मैं पीएच.डी. कर रहा था और संघर्षों से घिरा हुआ था। वे अक्सर मुस्कराते हुए कहते —
“अब्दुल कलाम बनना है क्या?”
यह उनका अंदाज़ था यह कहने का कि हार नहीं माननी है, आगे बढ़ना है, जैसे कलाम जी बढ़े...
“महान स्वप्नदृष्टाओं के महान स्वप्न, समय की सीमाओं को पार कर जाते हैं।”
यही पंक्ति मेरी चेतना में बैठ गई। तभी तय कर लिया कि चाहे रास्ता कठिन हो, पर मुझे अपने स्वप्न को पीछे नहीं छोड़ना है...
“शिक्षक किसी भी देश की रीढ़ होते हैं, वह स्तंभ जिन पर सभी आकांक्षाएं हकीकत में बदलती हैं।”
उनकी जीवन यात्रा ने यह सिखाया कि “नेवर गिव अप” कोई आदर्श वाक्य मात्र नहीं, बल्कि जीने की शैली है...
आज जब उनके सिद्धांतों को स्मरण करता हूँ, तो यह कहने में गर्व होता है कि मेरे जीवन में वे केवल एक प्रेरक नहीं, एक पथदर्शक हैं...
“अग्नि की उड़ान” खोलकर फिर से खुद को पहचानना है।
आपकी अग्नि की उड़ान ने मेरी आत्मा को भी उड़ान दी, प्रणाम आपको, महात्मा।
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