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एकता के शिल्पी सरदार वल्लभभाई पटेल : भारत की आत्मा के निर्माता

एकता के शिल्पी सरदार वल्लभभाई पटेल : भारत की आत्मा के निर्माता डॉ. रूपेन्द्र कवि (मानवविज्ञानी, साहित्यकार, समाजसेवी) 31 अ...

एकता के शिल्पी सरदार वल्लभभाई पटेल : भारत की आत्मा के निर्माता

डॉ. रूपेन्द्र कवि
(मानवविज्ञानी, साहित्यकार, समाजसेवी)

31 अक्तूबर केवल एक जन्मतिथि नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना का दिवस है। इसी दिन हम सरदार वल्लभभाई पटेल — भारत की एकता, अखंडता और दृढ़ संकल्प के प्रतीक — को स्मरण करते हैं। यह दिवस उनके जन्मोत्सव के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता दिवस (Rashtriya Ekta Diwas) के रूप में भी मनाया जाता है।

इस वर्ष यह अवसर विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि 1 नवम्बर को हमारा प्रिय राज्य छत्तीसगढ़ अपनी रजत जयंती (25वीं स्थापना वर्षगांठ) मना रहा है। छत्तीसगढ़ की विविध सांस्कृतिक पहचान और सामूहिक संवेदनशीलता उसी “विविधता में एकता” की प्रतिकृति है जिसका स्वप्न सरदार पटेल ने देखा था।

स्वतंत्र भारत के शिल्पकार

स्वतंत्रता के पश्चात जब देश अनेक रियासतों और अलगावों से जूझ रहा था, तब पटेल ने दृढ़ इच्छाशक्ति, राजनीतिक विवेक और संवैधानिक समझ का परिचय देते हुए प्रदेशों और रियासतों को एक सूत्र में पिरोया। उनका यह कार्य केवल राजनीतिक एकीकरण नहीं था — यह भारतीय पहचान और सामाजिक समरसता का पुनरुद्धार था।

छत्तीसगढ़ और एकता की भावना

छत्तीसगढ़ की भूमि में विविधता और एकता का अनूठा मेल दिखाई देता है। जनजातीय परंपराएँ, लोककला और सामुदायिक जीवन — सभी में साझेदार भाव है। मैं, एक छत्तीसगढ़ी होने के नाते, यह अनुभव करता हूँ कि यहाँ की सांस्कृतिक समरसता में पटेल के विचारों की सजीव झलक मिलती है।

छत्तीसगढ़ की रजत जयंती पर यह विचार करना आवश्यक है कि जिस प्रकार पटेल ने अलग-अलग शासकीय इकाइयों को जोड़कर अखंड राष्ट्र बनाया, उसी प्रकार आज हमें भी अपने समाज के विभिन्न समुदायों को जोड़ने का सतत प्रयास करना चाहिए। यही असली राष्ट्रीय परंपरा है।

संवैधानिक चेतना और प्रशासनिक अनुशासन

पटेल ने केवल राजनीतिक एकता ही नहीं सुगठित की, बल्कि आधुनिक प्रशासनिक ढांचे के निर्माण में भी उनका योगदान अमूल्य रहा। भारतीय प्रशासनिक और पुलिस सेवाओं की संस्थागत संरचना ने देश को स्थिरता और समन्वय दिया — और आज भी ये संस्थाएँ राष्ट्रीय एकता के स्तम्भ हैं।

आज की प्रासंगिकता

वर्तमान युग की चुनौतियाँ — तकनीकी परिवर्तन, सामाजिक असमानताएँ और वैचारिक विभाजन — हमें याद दिलाती हैं कि सशक्त राष्ट्र का निर्माण केवल नीतियों से नहीं, बल्कि साझा संवेदनशीलता और सह-अस्तित्व की प्रतिबद्धता से होता है। पटेल की शिक्षाएँ हमें इसी दिशा में प्रेरित करती हैं।

उपसंहार

राष्ट्रीय एकता दिवस और छत्तीसगढ़ की रजत जयंती — दोनों अवसर हमें यह स्मरण कराते हैं कि भारत की सच्ची शक्ति उसकी विविधता में निहित है। सरदार वल्लभभाई पटेल ने जो बीज रोपा था, उसे हमें अपने कर्म, संवाद और सेवा से संचित और पुष्ट करते रहना चाहिए। यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

लेखक के बारे में: मैं छत्तीसगढ़ का निवासी, मानवविज्ञानी, साहित्यकार व समाजसेवी हूँ और अपने अनुभवों तथा अध्ययन के आधार पर यह आलेख लिख रहा हूँ।
नोट: यह आलेख लेखक के अपने निजी विचार हैं; यह किसी भी संस्था या सरकारी पद का आधिकारिक दावा/प्रतिनिधित्व नहीं करता।


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