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एनसीईआरटी का 65वां स्थापना दिवस: शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दीक्षा 2.0 का किया शुभारंभ

एनसीईआरटी का 65वां स्थापना दिवस: शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दीक्षा 2.0 का किया शुभारंभ केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र ...

एनसीईआरटी का 65वां स्थापना दिवस: शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दीक्षा 2.0 का किया शुभारंभ

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनसीईआरटी के 65वें स्थापना दिवस को संबोधित किया

नई दिल्ली, 1 सितम्बर 2025/PIB Delhi। केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के 65वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने दीक्षा 2.0 समेत कई नई पहलों का शुभारंभ किया और ओडिशा की 100 महान हस्तियों के जीवन और योगदान पर आधारित पुस्तक ‘उत्कल जननींकर सुजोग्य संतान’ का विमोचन किया।

समारोह में स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) के सचिव श्री संजय कुमार, भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष श्री चामू कृष्ण शास्त्री, एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी, यूजीसी अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार, इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. श्रीधर पणिक्कर सोमनाथ, तथा एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक प्रो. जे.एस. राजपूत सहित शिक्षा मंत्रालय और परिषद के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

एनसीईआरटी को ज्ञान-कुंभ बताते हुए सुधारोन्मुख बनने का आग्रह

श्री प्रधान ने एनसीईआरटी को भारतीय शिक्षा प्रणाली का एक प्रतिष्ठित संस्थान बताते हुए कहा कि यह संगठन छात्रों के भविष्य को आकार देने में दशकों से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने एनसीईआरटी से आग्रह किया कि वह सुधारोन्मुख, तकनीक-संचालित और वैश्विक सर्वोत्तम विधियां अपनाने वाला परिवर्तनकारी संस्थान बनकर उभरे।

उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए आवश्यक है कि छात्रों में आलोचनात्मक और रचनात्मक सोच का विकास हो। इसके लिए अमृतकालीन शिक्षा व्यवस्था में बहुभाषावाद, आलोचनात्मक चिंतन और कौशल विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

प्रौद्योगिकी-संचालित शिक्षा और दीक्षा 2.0

अपने संबोधन में श्री प्रधान ने दीक्षा 2.0 की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह उन्नत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म संरचित पाठ, अनुकूली मूल्यांकन, ‘रीड अलाउड’ जैसे एआई-संचालित उपकरण तथा 12 भारतीय भाषाओं में अनुवाद की सुविधा प्रदान करता है।

श्री प्रधान ने उन छात्रों से भी संवाद किया जो इस प्लेटफ़ॉर्म से लाभान्वित हुए हैं। छात्रों की प्रतिक्रियाओं से यह स्पष्ट हुआ कि यह पहल शिक्षण और अधिगम प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी तथा सुलभ बना रही है।


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