जगदलपुर, 10 जुलाई 2025/ केंद्रीय विद्यालय संगठन की अनुशासनात्मक एवं नेतृत्वपरक परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, केन्द्रीय विद्यालय जगदल...
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जगदलपुर, 10 जुलाई 2025/ केंद्रीय विद्यालय संगठन की अनुशासनात्मक एवं नेतृत्वपरक परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, केन्द्रीय विद्यालय जगदलपुर में आज संकुल स्तरीय तीन दिवसीय चतुर्थ चरण/हीरक पंख स्काउट-गाइड शिविर-2025 का भव्य शुभारंभ ध्वजारोहण एवं झंडा गीत के सामूहिक गायन के साथ संपन्न हुआ। विद्यालय परिसर राष्ट्रभक्ति, उत्साह और बाल ऊर्जा से ओतप्रोत दिखाई दिया। शिविर के मुख्य अतिथि श्रीमती सुधा परमार (जिला आयुक्त गाइड, SAGES, कन्या क्रमांक 2) थीं, जिनकी गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को विशेष आयाम दिया। उनके साथ विशिष्ट अतिथियों में श्रीमती मीरा हिरवानी (जिला संगठन आयुक्त गाइड), दसरू राम यादव (जिला संगठन आयुक्त स्काउट) एवं श्री जयप्रकाश पाठक (जिला प्रशिक्षण आयुक्त स्काउट एवं गाइड) उपस्थित रहे। विद्यालय परिवार ने पारंपरिक भारतीय शैली में सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ और स्कार्फ पहनाकर भव्य स्वागत किया। स्वागत गीत और नृत्य से सजे इस कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत लार्ड बेडन-पॉवेल के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ की गई — जो स्काउट-गाइड आंदोलन के जनक माने जाते हैं। यह प्रतीकात्मक क्षण प्रतिभागियों में अनुशासन, सेवा और नेतृत्व के भावों को प्रज्ज्वलित कर गया। इस शिविर में केन्द्रीय विद्यालय जगदलपुर, बचेली, किरंदुल, और दंतेवाड़ा से कुल 32 कब्स एवं बुलबुल दल अपने अनुरक्षक शिक्षकों के साथ भाग ले रहे हैं। छात्रों के चेहरों पर सीखने और एकजुटता की चमक स्पष्ट झलक रही थी। विद्यालय के सम्माननीय प्राचार्य श्री राजकुमार आसमानी ने सभी प्रतिभागियों, प्रशिक्षकों और अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा, “इस प्रकार के शिविर विद्यार्थियों में जीवन के मूलभूत संस्कार, नेतृत्व क्षमता, आत्मनिर्भरता और सामाजिक उत्तरदायित्व का बीजारोपण करते हैं।” शिविर के प्रथम दिवस में प्रतिभागियों को स्काउट-गाइड नियमावली, बेसिक रूल्स, सेवा भावना, अनुशासन, और टीम भावना से संबंधित गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया गया। समूचे आयोजन में विद्यालय के शिक्षकों, विशेषकर स्काउट-गाइड प्रभारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन श्री किशोर मनवानी द्वारा किया गया। यह शिविर केवल प्रशिक्षण का माध्यम नहीं, बल्कि विद्यार्थियों में सहयोग, नेतृत्व और समाज सेवा जैसे मूल्यों का पोषण है। यह वास्तव में “सीखने के साथ जीने की कला” को साकार करता है।
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