परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 के परिणाम घोषित, बस्तर जिले के प्रदर्शन राज्य से बेहतर जगदलपुर, 10 जुलाई 2025/ विकास और नवाचार को बढ़ावा दे...
परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 के परिणाम घोषित, बस्तर जिले के प्रदर्शन राज्य से बेहतर
जगदलपुर, 10 जुलाई 2025/ विकास और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए विद्यार्थियों के प्रदर्शन को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए वर्ष 2001 से एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) द्वारा राष्ट्रव्यापी उपलब्धि सर्वेक्षणों का आयोजन किया जा रहा है, जो भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अपेक्षाओं को मूर्त रूप देने के क्रम में परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 (PARAKH - Performance Assessment, Review, and Analysis of Knowledge for Holistic Development) को एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में आयोजित किया गया। यह सर्वेक्षण विशेष रूप से फाउंडेशनल, प्रारंभिक और मध्य चरणों में शिक्षार्थियों की प्रगति का मूल्यांकन करता है।
यह ऐतिहासिक सर्वेक्षण 4 दिसंबर 2024 को आयोजित किया गया, जिसमें 75,565 स्कूलों के माध्यम से 22,94,377 छात्रों को शामिल किया गया। छात्रों का मूल्यांकन भाषा, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और हमारे आस-पास की दुनिया जैसे विषयों में किया गया।
बस्तर जिले से कुल 91 स्कूलों के 2255 विद्यार्थी एवं 339 शिक्षक इस सर्वेक्षण के लिए चयनित किए गए। कलेक्टर श्री हरिस एस. के मार्गदर्शन और जिला शिक्षा विभाग की तत्परता के कारण बस्तर जिले का प्रदर्शन ना केवल राज्य के औसत से बल्कि राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर रहा है।
परख की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी रिपोर्ट के अनुसार बस्तर ने विगत वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे यह संकेत मिलता है कि जिले की शैक्षणिक नीतियाँ, शिक्षकों का प्रशिक्षण, और स्थानीय नवाचार प्रभावशाली सिद्ध हो रहे हैं।
यह उपलब्धि न केवल जिला प्रशासन के लिए बल्कि पूरे बस्तर अंचल के लिए गर्व का विषय है, जो लंबे समय से शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ेपन की छवि के साथ जुड़ा रहा है। अब यह छवि बदल रही है — और 'बस्तर' एक प्रेरणा बन रहा है।
“जहाँ अंधेरे थे कभी शिक्षा के गलियारों में, वहीं अब उजाला है नवज्ञान के विचारों में।”
बस्तर का यह प्रदर्शन शिक्षा के क्षेत्र में एक नई सुबह का संकेत है। यह स्पष्ट करता है कि संसाधनों की सीमाओं के बावजूद यदि सही नीति, नेतृत्व और सहभागिता हो, तो कोई भी क्षेत्र शिक्षा के शिखर तक पहुँच सकता है।
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