बाल कल्याण पुलिस अधिकारी एवं अन्य हितधारकों हेतु हुई संवेदीकरण कार्यशाला जगदलपुर, 11 जुलाई 2025/ कलेक्टर श्री हरिस एस. के निर्देशन एवं...
बाल कल्याण पुलिस अधिकारी एवं अन्य हितधारकों हेतु हुई संवेदीकरण कार्यशाला
जगदलपुर, 11 जुलाई 2025/ कलेक्टर श्री हरिस एस. के निर्देशन एवं पुलिस अधीक्षक श्री शलभ सिन्हा के मार्गदर्शन में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015, संशोधित 2021 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों एवं अन्य हितधारकों के लिए संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन लालबाग स्थित शौर्य भवन में किया गया।
कार्यशाला का उद्देश्य किशोर न्याय बोर्ड में लंबित प्रकरणों के समयबद्ध निराकरण के साथ-साथ विधि से संघर्षरत तथा संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के प्रति सभी हितधारकों में संवेदनशीलता विकसित करना था। जिला बाल संरक्षण अधिकारी डॉ. विजय शर्मा ने बताया कि प्रकरणों की संवेदनशील प्रकृति को ध्यान में रखते हुए सभी संबंधित विभागों एवं अधिकारियों को एकजुट होकर समन्वय के साथ कार्य करना होगा।
मुख्य वक्ता सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी सुश्री भावना खटवानी ने किशोर न्याय अधिनियम 2015 (संशोधित 2021) के प्रमुख प्रावधानों को स्पष्ट किया। वहीं विधिक सह परिवीक्षा अधिकारी श्री संतोष वैध ने लंबित प्रकरणों के कारणों, सामाजिक जांच प्रतिवेदन की भूमिका तथा बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला।
विशेष अतिथि उप संचालक लोक अभियोजन श्री आर. के. मिश्रा ने बाल अधिकारों की रक्षा हेतु बहुविभागीय समन्वय की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि पुलिस, स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग की सम्मिलित भागीदारी से ही बालकों के हित सुनिश्चित किए जा सकते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किशोरों की आयु निर्धारण हेतु जन्म प्रमाण पत्र, हाई स्कूल प्रमाण पत्र, दाखिला-खारिज प्रमाण पत्र आदि को वैध दस्तावेज माना जाएगा। उन्होंने बोन टेस्ट एवं दंत परीक्षण की प्रासंगिकता पर भी चर्चा की।
कार्यशाला में प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत व्यवहारिक समस्याओं पर विचार-विमर्श हुआ, जिनका समाधान उपस्थित विशेषज्ञों द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डीएसपी एवं नोडल अधिकारी विशेष किशोर पुलिस इकाई सुश्री सुशांता लकड़ा, जिला स्तरीय बाल कल्याण पुलिस अधिकारी, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, आदिवासी विकास, श्रम विभागों के प्रतिनिधि, बाल कल्याण समिति व किशोर न्याय बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्यगण, स्वयंसेवी संस्थाएं, बाल देखरेख संस्थानों के अधीक्षक एवं परिवीक्षा अधिकारी सम्मिलित हुए।
यह कार्यशाला बाल संरक्षण प्रणाली की समेकित मजबूती की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल सिद्ध हुई, जो आने वाले समय में बच्चों की सुरक्षा और न्याय की दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है।
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