24 जून 2025, नई दिल्ली | वरिष्ठ संवाददाता भारतीय सशस्त्र सेनाओं के इतिहास में 24 जून 2025 एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज किया गया, जब ...
24 जून 2025, नई दिल्ली | वरिष्ठ संवाददाता
भारतीय सशस्त्र सेनाओं के इतिहास में 24 जून 2025 एक निर्णायक मोड़ के रूप में दर्ज किया गया, जब रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) एवं सैन्य मामलों के विभाग (DMA) के सचिव को तीनों सेनाओं के लिए संयुक्त आदेश (Joint Orders) और संयुक्त निर्देश (Joint Instructions) जारी करने की अधिकृत शक्ति प्रदान की।
अब तीन नहीं, एक आवाज़ में बोलेगा भारतीय सैन्य तंत्र
अब तक की व्यवस्था में किसी आदेश या निर्देश को यदि दो या तीन सेनाओं (थल, वायु, नौसेना) से संबंधित होना होता, तो प्रत्येक सेवा अलग-अलग अपनी ओर से निर्देश जारी करती थी। इससे पुनरावृत्ति, असंगति और प्रशासनिक जटिलता की स्थिति उत्पन्न होती थी।
नई व्यवस्था में CDS और DMA सचिव एकीकृत आदेश जारी कर सकेंगे, जिससे संचालनात्मक समन्वय, पारदर्शिता और कार्यकुशलता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
पहला संयुक्त आदेश जारी: संयुक्तता की शुरुआत
इस ऐतिहासिक निर्णय के तहत 24 जून 2025 को पहला संयुक्त आदेश जारी हुआ, जिसका शीर्षक है: ‘Approval, Promulgation and Numbering of Joint Instructions and Joint Orders’। यह आदेश संयुक्त आदेशों की स्वीकृति, जारी करने की प्रक्रिया और क्रमांकन (numbering) के मानदंडों को परिभाषित करता है।
यह पहल ‘थिएटर कमांड’ की दिशा में भी एक मजबूत कदम मानी जा रही है, जहां तीनों सेनाएं एक समन्वित ढांचे के अंतर्गत कार्य करेंगी।
रक्षा विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
एक प्रतिष्ठित वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक का कहना है, "यह निर्णय सेना के भीतर संयुक्तता (Jointness) को संस्थागत रूप देने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम है। इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और रणनीतिक निर्णय अधिक प्रभावी बनेंगे।"
सीधे प्रभाव और आगे की राह
- संयुक्त अभ्यासों, संचालन और लॉजिस्टिक्स को एकीकृत करना होगा आसान
- दोहरे आदेशों और संसाधनों की बर्बादी पर लगाम
- तीनों सेनाओं के बीच आपसी भरोसा और तालमेल को मजबूती
- आधुनिक युद्ध के लिए आवश्यक थिएटर कमांड स्ट्रक्चर की नींव मजबूत
इस परिवर्तन को केवल 'प्रशासनिक निर्णय' मानना भूल होगी। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के स्वरूप को पुनर्परिभाषित करने की प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसमें भविष्य की लड़ाइयाँ एकीकृत सोच और एकजुट योजना से लड़ी जाएंगी।
निष्कर्ष: “संयुक्तता से शक्ति” की ओर भारत की तेज़ रफ्तार
यह कदम बताता है कि भारत अब युद्ध की पारंपरिक सोच से आगे बढ़कर, बहु-आयामी युद्ध कौशल और संगठित सैन्य तंत्र की ओर बढ़ रहा है। एक साथ सोचने, एक साथ योजना बनाने और एक साथ कार्य करने की यह प्रणाली भारत को एक आधुनिक सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर बन सकती है।
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