"भेदभाव की शिकायतों से गूंजा शिक्षा विभाग: आत्मानंद शिक्षकों की अनदेखी पर नाराजगी, DEO कार्यालय में शिक्षकों की भीड़: बिलासपुर : शिक्ष...
"भेदभाव की शिकायतों से गूंजा शिक्षा विभाग: आत्मानंद शिक्षकों की अनदेखी पर नाराजगी, DEO कार्यालय में शिक्षकों की भीड़:
बिलासपुर : शिक्षा व्यवस्था के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया से पहले जारी की गई अतिशेष शिक्षकों की सूची ने जिला बिलासपुर में नई बहस छेड़ दी है। सूची के जारी होते ही कई शिक्षक विरोध जताने DEO ऑफिस और कलेक्ट्रेट के चक्कर काटते नजर आए।
शिक्षकों का कहना है कि "हमसे बिना चर्चा किए हमें अतिशेष घोषित कर दिया गया।" सबसे ज्यादा आक्रोश आत्मानंद स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों में देखा गया, जिनका आरोप है कि उनके साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया गया है।
"जिन्हें बाद में नियुक्त किया, उन्होंने सीनियर को दिखाया बाहर का रास्ता"
कई शिक्षकों ने बताया कि बाद में जॉइन करने वाले शिक्षक अब सीनियरों को अतिशेष बता रहे हैं, जबकि सेवा काल और कार्यदक्षता के आधार पर सीनियरों की प्राथमिकता होनी चाहिए थी।
एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा:
"मैंने 12 साल सेवा दी है, फिर भी मुझे अतिशेष बता दिया गया जबकि मुझसे बाद में नियुक्त टीचर को यथावत रखा गया। यह कहां का न्याय है?"
आज से काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू
विवादों के बीच बिलासपुर में आज से अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू हो रही है। हालांकि, जिन शिक्षकों की आपत्तियां अभी तक सुनी नहीं गईं, वे अनिश्चितता में हैं।
शिक्षकों की मांग: पारदर्शिता और सम्मान
शिक्षकों ने मांग की है कि:
अतिशेष सूची को पारदर्शी बनाया जाए।
आत्मानंद विद्यालयों के शिक्षकों को सामान्य स्कूलों के समान अधिकार दिए जाएं।
वरिष्ठता, विषय-विशेषज्ञता और सेवा अवधि को प्राथमिकता दी जाए।
निष्कर्ष:
यह मामला सिर्फ संख्या का नहीं, बल्कि सम्मान और न्याय का है। शिक्षक, जो समाज का आधार स्तंभ हैं, उनसे ऐसा व्यवहार व्यवस्था की संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा करता है। शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह सुनवाई की प्रक्रिया को ईमानदारी से निभाए, ताकि शिक्षक भरोसे के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकें।
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