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सात दशक, पाँच युद्ध: सामरिक संतुलन की कसौटी पर भारत और पाकिस्तान

सैन्य शक्ति, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय समीकरणों के आईने में भारत की संभावित विजय की पड़ताल - शुभान्शु झा    भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास इस क...

सैन्य शक्ति, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय समीकरणों के आईने में भारत की संभावित विजय की पड़ताल - शुभान्शु झा  

भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास इस कटु सत्य से अनभिज्ञ नहीं है कि यहां की सीमाएं केवल भौगोलिक रेखाएं नहीं, बल्कि जटिल सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामरिक समीकरणों की जीवित कथा हैं। स्वतंत्रता के पश्चात भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष इस बात की स्थायी गवाही हैं कि राष्ट्रीय अस्मिता की रक्षा और भू-राजनीतिक वर्चस्व की आकांक्षाएँ कभी-कभी युद्ध की रक्तरंजित राहों तक जा पहुँचती हैं। भारत ने पिछले सात दशकों में जिन युद्धों और सैन्य टकरावों का सामना किया है, वे न केवल देश की सामरिक संकल्प शक्ति का प्रमाण हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय शक्ति समीकरणों में उसके स्थान की निरंतर पुनःस्थापना भी हैं।

इस विश्लेषणात्मक आलेख में, हम उन सभी प्रमुख युद्धों और संघर्षों का एक संतुलित पुनर्पाठ प्रस्तुत करते हैं, जिन्होंने भारत के सामरिक दृष्टिकोण, सैन्य रणनीति और कूटनीतिक स्थिति को परिभाषित किया। साथ ही हम यह भी गहराई से परखेंगे कि वर्तमान भूराजनीतिक परिप्रेक्ष्य में यदि भारत-पाकिस्तान के बीच पुनः संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है, तो भारत की संभावित विजय को सुनिश्चित करने वाले कौन-कौन से निर्णायक कारक प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। इस विमर्श का आशय न तो युद्धोन्माद का समर्थन है, न ही एकपक्षीय उत्साह; बल्कि यह एक संतुलित और तथ्याधारित आकलन है कि भारत आज कहां खड़ा है — सामरिक, आर्थिक और कूटनीतिक धरातल पर। 


युद्ध वर्ष मुख्य कारण परिणाम
भारत-पाकिस्तान युद्ध (प्रथम कश्मीर युद्ध) 1947–1948 पाकिस्तान समर्थित कबायलियों का कश्मीर पर आक्रमण; महाराजा हरि सिंह का भारत में विलय संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता; युद्धविराम रेखा (Ceasefire Line) बनी; कश्मीर का दो-तिहाई भारत के पास रहा
भारत-चीन युद्ध 1962 सीमा विवाद (अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश); पंचशील समझौते के बावजूद तनाव भारत की पराजय; अक्साई चिन चीन के कब्जे में चला गया; भारतीय सेना का पुनर्गठन हुआ
भारत-पाकिस्तान युद्ध (द्वितीय कश्मीर युद्ध) 1965 पाकिस्तान का ऑपरेशन जिब्राल्टर; कश्मीर में विद्रोह भड़काने का प्रयास भारत ने लाहौर तक प्रगति की; ताशकंद समझौता (USSR मध्यस्थता); यथास्थिति बहाल
भारत-पाकिस्तान युद्ध (बांग्लादेश मुक्ति युद्ध) 1971 पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली दमन; 1 करोड़ शरणार्थी भारत में भारत की निर्णायक विजय; पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया; बांग्लादेश का निर्माण हुआ
कारगिल युद्ध 1999 पाकिस्तान सेना और घुसपैठियों का LOC पार कर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा भारत ने ऑपरेशन विजय के तहत क्षेत्र पुनः प्राप्त किया; पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई
सर्जिकल स्ट्राइक (LOC पार कार्यवाही) 2016 उरी आतंकी हमले के जवाब में LOC पार आतंकवादी लॉन्च पैड पर हमला भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक लक्ष्य नष्ट किए; पहली बार भारत ने सार्वजनिक रूप से ऐसी कार्यवाही की
बालाकोट एयर स्ट्राइक 2019 पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में जैश-ए-मोहम्मद के शिविर पर वायुसेना का हमला पाकिस्तान की नकारात्मक प्रतिक्रिया के बावजूद भारत ने सामरिक बढ़त और अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त किया

वर्तमान में भारत की संभावित विजय की सुनिश्चितता के निर्णायक कारण

  1. सैन्य शक्ति में श्रेष्ठता

    • भारतीय सेना (संसाधन, जनशक्ति, अनुभव) पाकिस्तान से कई गुना बड़ी।

    • वायुसेना: राफेल, सुखोई-30MKI, तेजस जैसे उन्नत लड़ाकू विमान; पाकिस्तान की वायुसेना कमजोर।

    • नौसेना: भारतीय नौसेना, हिंद महासागर क्षेत्र की श्रेष्ठ शक्ति; पाकिस्तान की नौसेना सीमित।

  2. तकनीकी और खुफिया क्षमता

    • उपग्रह आधारित निगरानी (RISAT, Cartosat), ड्रोन और साइबर क्षमता में बढ़त।

    • नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम्स का बेहतर समावेश।

  3. आर्थिक ताकत

    • भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से कई गुना बड़ी (भारत ~3.7 ट्रिलियन USD, पाकिस्तान ~0.34 ट्रिलियन USD)।

    • लम्बे युद्ध का आर्थिक भार पाकिस्तान नहीं झेल सकता।

  4. राजनीतिक स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय समर्थन

    • वैश्विक मंचों (UN, QUAD) पर भारत की मजबूत स्थिति।

    • अमेरिका, फ्रांस, रूस, इजराइल जैसे देशों से रक्षा समझौते व समर्थन।

    • पाकिस्तान की कमजोर अंतरराष्ट्रीय छवि (आतंकवाद समर्थन के आरोपों के चलते FATF ग्रे लिस्ट आदि)।

  5. आतंकवाद के खिलाफ ठोस नीति

    • भारत की 'जीरो टॉलरेंस' नीति; पाकिस्तान आधारित आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक रणनीति।

    • पिछली सफल सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक से मनोवैज्ञानिक बढ़त।

  6. जनरल सैन्य मनोबल और युद्ध-अनुभव

    • भारतीय सेना की हाई एल्टीट्यूड वारफेयर, काउंटर इन्सर्जेंसी ऑपरेशन में लंबा अनुभव।

    • कारगिल जैसे युद्धों ने रणनीतिक समझ बढ़ाई।

  7. न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन का संतुलित दृष्टिकोण

    • भारत की No First Use (NFU) नीति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदार छवि प्रदान करती है।

    • परंतु, मजबूत न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता पाकिस्तान को न्यूक्लियर एस्कलेशन से रोकती है।


निष्कर्ष

वर्तमान परिस्थितियों में यदि भारत-पाकिस्तान युद्ध होता है तो भारत की सामरिक, आर्थिक, तकनीकी, कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक श्रेष्ठता युद्ध की दिशा भारत के पक्ष में सुनिश्चित करती है। यद्यपि युद्ध की विभीषिका से बचना ही श्रेयस्कर है, फिर भी आवश्यकता पड़ने पर भारत की विजय ही अवश्यम्भावी है ।

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