मुख्यमंत्री अजीत जोगी सहित पूरा छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल दिल्ली में गिरफ्तार : रायपुर: राजधानी दिल्ली में उस दिन का दोपहर का सूरज कुछ अलग ही इ...
मुख्यमंत्री अजीत जोगी सहित पूरा छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल दिल्ली में गिरफ्तार :
रायपुर: राजधानी दिल्ली में उस दिन का दोपहर का सूरज कुछ अलग ही इतिहास रचने वाला था। देश के सभी प्रमुख समाचार चैनलों पर अचानक एक सनसनीखेज खबर ब्रेकिंग न्यूज बन गई – "छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अजीत जोगी अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ गिरफ्तार!"
जी हाँ, यह कोई सामान्य विरोध प्रदर्शन नहीं था। यह दृश्य लोकतांत्रिक इतिहास में अनोखा और अप्रत्याशित था, जब एक पूर्ण मंत्रिपरिषद, मुख्यमंत्री सहित, प्रधानमंत्री से मिलने के लिए दिल्ली की सड़कों पर मार्च करते हुए हिरासत में ले ली गई।
मुख्यमंत्री अजीत जोगी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार का पूरा मंत्रिमंडल, केंद्र सरकार की उपेक्षा और राज्य के अधिकारों को लेकर गहरी नाराजगी व्यक्त करने दिल्ली पहुँचा था। योजना यह थी कि वे प्रधानमंत्री से सीधे मुलाकात कर राज्य की समस्याएं रखें। लेकिन राजधानी की सख्त सुरक्षा व्यवस्था और राजनीतिक तनावों के बीच यह काफिला जैसे ही पीएम आवास की ओर बढ़ा, पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक लिया।
क्या था मुद्दा?
मुख्यमंत्री जोगी ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार लगातार छत्तीसगढ़ के साथ भेदभाव कर रही है – वित्तीय सहायता से लेकर औद्योगिक नीतियों तक में। कई बार पत्राचार और विनती के बाद भी जब कोई समाधान नहीं निकला, तो यह निर्णय लिया गया कि पूरे मंत्रिमंडल सहित प्रधानमंत्री से सीधे मिलकर अपनी बात रखी जाए।
गिरफ्तारी का दृश्य :
जैसे ही काफिला 7, रेसकोर्स रोड की ओर बढ़ा, भारी संख्या में दिल्ली पुलिस ने उन्हें घेर लिया। नारेबाजी, हाथों में तख्तियां, और शांतिपूर्ण काफिला अचानक एक विवाद का केंद्र बन गया। बाद में, मुख्यमंत्री जोगी और उनके मंत्रियों को दिल्ली पुलिस ने "एहतियातन" हिरासत में लिया और बसों में भरकर एक अस्थायी स्थल पर ले जाया गया।
इस अनोखी घटना ने पूरे देश में राजनीतिक हलचल मचा दी। विपक्षी पार्टियों ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया, वहीं केंद्र सरकार ने इसे सुरक्षा दृष्टिकोण से उठाया गया "प्रशासनिक कदम" करार दिया।
जनता की प्रतिक्रिया :
छत्तीसगढ़ में इस घटना को लेकर जबरदस्त जन उबाल देखा गया। राजधानी रायपुर से लेकर गांव-गांव तक लोग टीवी सेट से चिपके रहे और अपने चुने हुए नेताओं की गिरफ्तारी को अपमानजनक बताया। छात्र संगठनों, किसान यूनियनों और ट्रेड यूनियनों ने तुरंत सड़कों पर उतरकर विरोध दर्ज कराया।
राजनीति में यह दृश्य शायद ही फिर कभी दोहराया जाए – जब एक मुख्यमंत्री, अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ गिरफ्तारी देता हुआ, संविधान और लोकतंत्र के प्रश्नों पर सीधे केंद्र सरकार से टकरा गया।
कोई टिप्पणी नहीं