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सियासत में स्वाद की सियासत: बोरे-बासी के सरकारी आयोजन पर भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने

सियासत में स्वाद की सियासत: बोरे-बासी के सरकारी आयोजन पर भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने: रायपुर :  छत्तीसगढ़ की परंपरागत थाली बोरे-बासी एक बार फि...


सियासत में स्वाद की सियासत: बोरे-बासी के सरकारी आयोजन पर भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने:

रायपुर : छत्तीसगढ़ की परंपरागत थाली बोरे-बासी एक बार फिर सियासी तवे पर चढ़ गई है। सरकार द्वारा आयोजित बोरे-बासी महोत्सव को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच तीखी बहस छिड़ गई है।

कांग्रेस इसे "माटी की महक और संस्कृति का उत्सव" बता रही है, वहीं भाजपा ने इसे "सिर्फ दिखावे की राजनीति" करार दिया है।

प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस आयोजन से आमजन का भला कम, और सियासी स्वाद का तड़का ज़्यादा लगाया गया है।

मुख्यमंत्री ने इसे "लोकजीवन से जोड़ने की पहल" बताया, तो भाजपा नेताओं ने इसे "वोट बैंक की चाल" करार देते हुए आयोजन की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए।


"कका ने महतारी को ठग लिया": राधिका का भावुक बयान:

 कांग्रेस की नेता राधिका ने एक भावनात्मक बयान में कहा, "कका ने महतारी को ठग लिया।" यह बयान प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा रहा है।

राधिका ने यह टिप्पणी पूर्व मुख्यमंत्री पर करते हुए कहा कि जनता की भावनाओं का वर्षों तक शोषण किया गया, अब उसे "महतारी के नाम पर" भुलाया नहीं जा सकता।

उन्होंने वर्तमान सरकार की योजनाओं को "महतारी के मान-सम्मान की पुनर्स्थापना" बताया और कहा कि अब वक्त है जब जनता सच्चाई को पहचानेगी।

विपक्ष ने इस बयान को "भावनात्मक नाटक" बताते हुए आक्रामक प्रतिक्रिया दी है।

राजनीति में जब थाली से भी सियासत परोसी जाने लगे, तब समझिए चुनाव नज़दीक हैं। बोरे-बासी हो या महतारी – जन-मन की भावनाओं के सैलाब को अब राजनीतिक तटबंध संभाल नहीं पा रहे।



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