कोंडागांव में आज भी गूंज रही है ब्रिटिश दौर की घंटी: तहसील कार्यालय में टंगी विरासत, जो कभी तय करती थी दफ्तर का समय: कोंडागांव : समय बदला...
कोंडागांव में आज भी गूंज रही है ब्रिटिश दौर की घंटी: तहसील कार्यालय में टंगी विरासत, जो कभी तय करती थी दफ्तर का समय:
कोंडागांव : समय बदला, व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन कोंडागांव तहसील कार्यालय में ब्रिटिश काल की एक विरासत आज भी ज्यों की त्यों टंगी है—रेल की पटरी से बनी एक लोहे की घंटी। यह सिर्फ एक घंटी नहीं, बल्कि इतिहास की वो आवाज़ है, जो कभी दफ्तर शुरू और बंद होने का संकेत देती थी।
करीब सौ साल पुरानी यह घंटी अब न तो बजती है और न ही समय तय करती है, मगर इसकी मौजूदगी लोगों को उस दौर की याद दिला देती है जब तकनीक नहीं, आवाज़ वक्त बताती थी। इस घंटी को ब्रिटिश अधिकारियों ने खुद तैयार करवाया था। इसे एक मजबूत फ्रेम में बांधकर तहसील कार्यालय के सामने स्थापित किया गया था।
स्थानीय लोगों के लिए यह घंटी सिर्फ एक धातु का टुकड़ा नहीं, बल्कि अतीत की धड़कन है। पुराने कर्मचारी बताते हैं कि इस घंटी की आवाज़ पूरे कस्बे में गूंजती थी और लोग समझ जाते थे कि अब सरकारी कामकाज शुरू या खत्म होने वाला है।
आज भी यह घंटी वहीं टंगी है—चुपचाप, लेकिन गरिमा के साथ। यह न केवल कोंडागांव की धरोहर है, बल्कि प्रशासनिक इतिहास की एक अनसुनी कहानी भी कहती है।


कोई टिप्पणी नहीं