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छात्रों को नमाज पढ़ाने वाले प्रोफेसर्स को नहीं मिली राहत: हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की

  FIR को बताया राजनीति प्रेरित, कोर्ट ने नहीं मानी दलील बिलासपुर :  सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर के प्रोफेसर्स को हाईकोर्ट से उस वक्त बड़ा झ...

 

FIR को बताया राजनीति प्रेरित, कोर्ट ने नहीं मानी दलील

बिलासपुर : सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर के प्रोफेसर्स को हाईकोर्ट से उस वक्त बड़ा झटका लगा जब न्यायालय ने उनके द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। ये याचिका उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की मांग को लेकर थी। FIR में आरोप है कि इन प्रोफेसर्स ने यूनिवर्सिटी के छात्रों को नमाज पढ़ाई थी।


मामले की सुनवाई छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच — चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय — द्वारा की गई। प्रोफेसर्स की ओर से दलील दी गई थी कि FIR राजनीति से प्रेरित है और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता और शैक्षणिक स्वायत्तता का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने के उद्देश्य से की गई है।

लेकिन कोर्ट ने यह मानने से इनकार कर दिया कि FIR में दर्ज आरोप केवल राजनीतिक मकसद से प्रेरित हैं। अदालत ने माना कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच की आवश्यकता है और FIR को रद्द करना इस स्तर पर न्यायोचित नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी को स्वतंत्र रूप से जांच करने का अवसर मिलना चाहिए और याचिका इस स्तर पर हस्तक्षेप के योग्य नहीं है।

इस फैसले के बाद यूनिवर्सिटी कैंपस में भी बहस तेज हो गई है। जहां एक ओर कुछ छात्र और शिक्षाविद इसे धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई लोग इसे शिक्षा क्षेत्र में अनुशासन बनाए रखने की दिशा में एक कदम मान रहे हैं।

यह मामला अब जांच एजेंसियों के हाथ में है, और प्रोफेसर्स को अपने बचाव का अवसर विधिक प्रक्रिया के तहत ही मिलेगा।





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