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53 हजार जवान, और बीहड़ में गुम हैं 2 हजार नक्सली... अब ऑपरेशन नहीं, घुसकर और दौड़ाकर मार रही फोर्स

  बस्तर से लौटकर विशेष रिपोर्ट: हर्ष पाण्डेय बस्तर :  कभी नक्सलियों का गढ़ रहा बस्तर अब सुरक्षाबलों के रणनीतिक आक्रमण का अखाड़ा बन चुका है। ...

 

बस्तर से लौटकर विशेष रिपोर्ट: हर्ष पाण्डेय

बस्तर : कभी नक्सलियों का गढ़ रहा बस्तर अब सुरक्षाबलों के रणनीतिक आक्रमण का अखाड़ा बन चुका है। 53 हजार से ज्यादा जवानों की तैनाती और आधुनिक रणनीति ने हालात पूरी तरह पलट दिए हैं। एक दौर था जब फोर्स जंगल में ऑपरेशन करके वापस लौट आती थी, लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है। अब जवान नक्सलियों की मांद तक घुसकर उन्हें ढूंढते हैं, दौड़ाते हैं, और खत्म करते हैं।

इन तमाम बदलावों की वजह हैं बस्तर आईजी सुंदरराज पी., जो पिछले 6 साल से लगातार नक्सल ऑपरेशनों की अगुवाई कर रहे हैं। दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में उन्होंने कई अहम खुलासे किए।


"अब हम नहीं लौटते, नक्सली भागते हैं" — सुंदरराज पी.

आईजी सुंदरराज कहते हैं,

> "पहले की रणनीति रक्षात्मक थी। हम ऑपरेशन करते और वापस आ जाते। लेकिन अब हम नक्सलियों के एरिया में पैठ बनाते हैं। टेक्नोलॉजी, इंटेलिजेंस और लोकल सपोर्ट से हमारी पकड़ मजबूत हुई है।"

उन्होंने बताया कि बीते दो साल में दर्जनों ऐसे ऑपरेशन हुए हैं जिसमें जवान 30-40 किलोमीटर भीतर जंगल में गए और वहां डेरा डाला। ड्रोन, सैटेलाइट इमेज, और वायरलेस इंटरसेप्शन की मदद से सटीक लक्ष्य साधा गया।


आंकड़े जो बताते हैं बदलाव की कहानी

53,000 जवान तैनात (CRPF, DRG, STF, BSF सहित)

लगभग 2,000 सक्रिय नक्सली, जो अब सीमित इलाकों में सिमटे है

2023 में 100+ नक्सली मारे गए, जिनमें टॉप कमांडर भी शामिल

20 नए फॉरवर्ड बेस बनाए गए, जिससे गहराई में ऑपरेशन मुमकिन हुए


ग्रामीणों में बढ़ रहा विश्वास

आईजी के अनुसार,

> "जहां कभी पुलिस की वर्दी देखकर गांव वाले छिप जाते थे, वहीं अब सहयोग करते हैं। स्कूल फिर से खुल रहे हैं, सड़कें बन रही हैं, और युवाओं को रोजगार के मौके मिल रहे हैं।"

उन्होंने यह भी बताया कि surrendered नक्सलियों को पुनर्वास योजनाओं के तहत रोजगार, सुरक्षा और सम्मान मिल रहा है, जिससे बाकी नक्सलियों पर भी दबाव बन रहा है।


अंतिम लड़ाई का दौर?

जानकार मानते हैं कि अब लड़ाई सिर्फ भौगोलिक नहीं, वैचारिक भी है। फोर्स की रणनीति न केवल बंदूक से लड़ रही है, बल्कि वह विचारधारा को भी चुनौती दे रही है।

"नक्सलवाद अब विचारधारा के अंतिम छोर पर खड़ा है," सुंदरराज कहते हैं,

> "और हमारी कोशिश है कि एक भी जवान की शहादत के बिना यह लड़ाई खत्म हो।

📍 जमीनी रिपोर्ट: सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर जैसे जिलों में डटी फोर्स

📍 ड्रोन से निगरानी, AI आधारित इंटेलिजेंस, और रात-दिन ऑपरेशन

📍 स्थानीय आदिवासी फोर्स DRG की सफलता, जो नक्सल रणनीति को पहचानती है

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