महासमुंद से मार्मिक समाचार: 45 वर्षों से पानी की लड़ाई लड़ रहे किसान, हर माह रायपुर भेजते हैं प्रतिनिधि: झलप (महासमुंद) : छत्तीसगढ़ के महा...
महासमुंद से मार्मिक समाचार: 45 वर्षों से पानी की लड़ाई लड़ रहे किसान, हर माह रायपुर भेजते हैं प्रतिनिधि:
झलप (महासमुंद) : छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के झलप गांव में एक अनोखा संघर्ष जारी है—जहां पानी की बूंद-बूंद के लिए किसान 45 वर्षों से सरकार के दरवाजे खटखटा रहे हैं। गांव के बुजुर्ग किसान और पूर्व सरपंच तुलाराम चंद्राकर, जिनकी उम्र अब 72 वर्ष है, इस जंग के अगुवा हैं।
झलप और इसके आस-पास के दर्जनों गांव सालों से जल संकट से जूझ रहे हैं। खेतों में फसलें सूख रही हैं, कुएं और तालाब सूख चुके हैं, और अब उम्मीदें शासन की ओर टिकी हैं। इस संकट से उबरने के लिए गांव वाले हर महीने चंदा जुटाकर एक प्रतिनिधिमंडल को रायपुर भेजते हैं, ताकि सरकार तक अपनी पीड़ा पहुँचा सकें।
तुलाराम चंद्राकर कहते हैं, “हमने शासन-प्रशासन से लिखित में कई बार गुहार लगाई, धरना-प्रदर्शन किए, लेकिन समाधान आज तक नहीं मिला। अब भी हम हार मानने को तैयार नहीं हैं।”
गांव के अन्य किसानों का भी यही कहना है कि सिंचाई के अभाव में खेती अब घाटे का सौदा बन गई है। युवाओं का पलायन बढ़ा है और रोजगार के विकल्प नहीं हैं।
तुलाराम ने हाल ही में ग्रामीणों के साथ एक बैठक कर आगामी रणनीति पर विचार किया। उन्होंने कहा कि यदि अब भी शासन ने ध्यान नहीं दिया, तो वे मुख्यमंत्री निवास के बाहर धरने की चेतावनी दे सकते हैं।
यह मामला न केवल झलप की कहानी है, बल्कि यह ग्रामीण भारत में पानी के लिए चल रहे संघर्ष की एक तस्वीर भी है—जहां बुजुर्ग भी नई पीढ़ी के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
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