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रायपुर में हिरण के सींग व खोपड़ी के साथ दो शिकारी गिरफ्तार — तंत्र-मंत्र के लिए वन्यजीव अंगों की तस्करी का खुलासा

रायपुर, 2 मई 2025 — छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में वन विभाग और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में दो शिकारियों को हिरण के सींग और खोपड़ी के साथ ...



रायपुर, 2 मई 2025 — छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में वन विभाग और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में दो शिकारियों को हिरण के सींग और खोपड़ी के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। प्रारंभिक पूछताछ में खुलासा हुआ है कि ये वन्यजीव अंग कथित तौर पर तंत्र-मंत्र और काले जादू के अनुष्ठानों के लिए जुटाए जा रहे थे।


गिरफ्तारी रायपुर के मुजगहन थाना क्षेत्र में की गई, जहाँ गुप्त सूचना के आधार पर छापा मारा गया। अधिकारियों ने आरोपियों के पास से चीतल (स्पॉटेड डियर) की खोपड़ी, उसके सींग और अन्य संदिग्ध वन्यजीव अवशेष बरामद किए। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की कि आरोपियों के खिलाफ भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 9, 39 और 51 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।


तंत्र-मंत्र के लिए ऊँची माँग


प्रारंभिक पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि ये अंग स्थानीय तांत्रिकों और कथित ओझाओं को ऊँचे दामों पर बेचे जाते हैं। हिरण के सींगों को कई लोग 'शुभता' और 'धन-वैभव' लाने वाला मानते हैं, जिस कारण इनकी अवैध बाज़ार में भारी माँग रहती है। पुलिस का मानना है कि यह एक बड़े वन्यजीव तस्करी नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है, जिसकी जड़ें आस-पास के जिलों और राज्यों तक फैली हो सकती हैं।



वन विभाग की चेतावनी


वन विभाग के अधिकारी ए.के. वर्मा ने कहा, "वन्यजीव अंगों की तस्करी एक गंभीर अपराध है। हिरण, चीतल और अन्य संरक्षित प्रजातियों का शिकार कानूनन पूरी तरह प्रतिबंधित है। आरोपियों को कड़ी सजा दिलाई जाएगी और पूरे नेटवर्क की जाँच की जा रही है।"


विशेषज्ञों की राय


वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार छत्तीसगढ़ के जंगलों में चीतल, सांभर और अन्य हिरण प्रजातियों की संख्या अच्छी-खासी है, जिससे तस्करों की नजर यहाँ के इलाकों पर रहती है। तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक से जुड़े अंधविश्वासों के चलते वन्यजीव अंगों की अवैध तस्करी देशभर में फैली हुई है।

आगे की कार्रवाई

अधिकारियों ने बताया कि जब्त सामग्री को परीक्षण के लिए वन्यजीव फॉरेंसिक लैब भेजा जाएगा। साथ ही यह पता लगाया जा रहा है कि आरोपियों के और कौन-कौन से साथी इस गिरोह में शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ में वन्यजीव तस्करी और शिकार से जुड़े अहम आँकड़े (2020–2024)

(स्रोत: छत्तीसगढ़ वन विभाग रिपोर्ट)

तंत्र-मंत्र और वन्यजीव अंग — काले बाजार का नेटवर्क

1. प्रमुख अंगों की माँग

– हिरण के सींग: शुभ-लाभ, वास्तु-दोष निवारण हेतु

– खाल: झाड़-फूंक, पूजा सामग्री

– खोपड़ी और हड्डियाँ: तांत्रिक अनुष्ठान, धन आकर्षण के टोटके

2. काले बाजार में अनुमानित कीमतें

– हिरण के सींग: ₹10,000 – ₹25,000 प्रति जोड़ा

– खोपड़ी: ₹5,000 – ₹15,000

– खाल: ₹15,000 – ₹80,000 (आकार और स्थिति पर निर्भर)



3. प्रमुख तस्करी मार्ग

– बस्तर, कांकेर, धमतरी से रायपुर, फिर ओडिशा, झारखंड और महाराष्ट्र की ओर


विश्लेषण — क्यों बढ़ रही है यह तस्करी?


अंधविश्वास और स्थानीय मान्यताएँ: तंत्र-मंत्र में सफलता और आर्थिक लाभ की उम्मीद में वन्यजीव अंगों की मांग बनी रहती है।


कानून प्रवर्तन की चुनौतियाँ: घने जंगल और सीमावर्ती क्षेत्रों की भौगोलिक कठिनाइयाँ, सीमित वनकर्मियों की संख्या।


संगठित नेटवर्क: कई बार यह गतिविधि अंतर्राज्यीय या अंतरराष्ट्रीय गिरोहों से जुड़ी होती है।


कम जागरूकता: ग्रामीण इलाकों में वन्यजीव संरक्षण के प्रति कम जागरूकता, जिससे लोग आसानी से शिकार में शामिल हो जाते हैं।


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