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🌊✨दुधावा जलाशय की मछलियों ने रचा इतिहास, अमेरिका पहुंची छत्तीसगढ़ की स्वाद और गुणवत्ता की पहचान!✨🌊

  कांकेर से कैलिफोर्निया तक – "लोकल टू ग्लोबल" की उड़ान से छत्तीसगढ़ के मछुआरों को मिला सुनहरा अवसर: 📍 कांकेर, छत्तीसगढ़ :  छत्ती...

 

कांकेर से कैलिफोर्निया तक – "लोकल टू ग्लोबल" की उड़ान से छत्तीसगढ़ के मछुआरों को मिला सुनहरा अवसर:

📍 कांकेर, छत्तीसगढ़ : छत्तीसगढ़ के हरे-भरे अंचल में बसे दुधावा जलाशय की मछलियों ने वो कर दिखाया जो अब तक सिर्फ एक सपना था – पहली बार अमेरिका को निर्यात, और वहां से मिली भारी सराहना ने न सिर्फ राज्य का मान बढ़ाया, बल्कि स्थानीय मत्स्य व्यवसाय के लिए भी संभावनाओं के नए द्वार खोल दिए हैं।


🇮🇳🐟 'मेक इन इंडिया' से 'फिश इन अमेरिका' 🐟🇺🇸

जल संसाधन और मत्स्य विभाग के अनुसार, दुधावा की ताजगी से भरपूर 'पंगेसियस' और 'तिलापिया' मछलियां अपनी शुद्धता, स्वाद और पोषण गुणवत्ता के चलते वैश्विक बाजार में लोकप्रिय होती जा रही हैं।

इस वर्ष 140 टन अतिरिक्त मछली को कोलकाता में प्रोसेस कर 'फिलेट' के रूप में अमेरिका भेजा गया।


🧑‍🌾🌐 मछुआरों की मेहनत को मिला अंतरराष्ट्रीय मंच:

जिला प्रशासन और मत्स्य सहकारी समितियों की पहल से स्थानीय मछुआरों को आधुनिक प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता दी जा रही है, ताकि वे वैश्विक मानकों के अनुरूप उत्पादन कर सकें।

240 'केज कल्चर' इकाइयों की स्थापना से अब 4 मीट्रिक टन प्रति केज उत्पादन लिया जा रहा है – एक क्रांतिकारी उपलब्धि।


🌱📈 आर्थिक समृद्धि की नई लहर:

‘नील क्रांति’ और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत यह उपलब्धि स्थानीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दे रही है। अब जिले के फुटकर विक्रेताओं से लेकर अंतरराष्ट्रीय व्यापारी तक, दुधावा की मछलियों की मांग में वृद्धि देखी जा रही है।

> समरसिंह कंवर, सहायक संचालक, मछलीपालन, ने बताया – “तिलापिया जैसी मछली अंतरराष्ट्रीय बाजार में पोषण और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है। इससे छत्तीसगढ़ को वैश्विक पहचान और मछुआरों को स्थायी आजीविका दोनों मिलेंगे।”


🏅 राज्य की शान, देश का गौरव:

यह ऐतिहासिक निर्यात कांकेर जिले के साथ-साथ पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गया है। ‘लोकल टू ग्लोबल’ की इस कहानी ने यह साबित कर दिया है कि गांवों की मिट्टी से भी वैश्विक बाज़ार तक पहुँचा जा सकता है – अगर दिशा और दृष्टि सही हो।

📌 यह खबर न केवल एक आर्थिक उपलब्धि है, बल्कि 'आत्मनिर्भर भारत' की मछलीपालन क्षेत्र में एक चमकदार मिसाल है।

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