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कोंडागांव की बेटियों ने रचा इतिहास: नक्सल प्रभावित क्षेत्र से निकली दो बहनों ने खेल जगत में बिखेरा सितारों सा तेज

  कोंडागांव की बेटियों ने रचा इतिहास: नक्सल प्रभावित क्षेत्र से निकली दो बहनों ने खेल जगत में बिखेरा सितारों सा तेज: छत्तीसगढ़ :  के कोंडागा...

 कोंडागांव की बेटियों ने रचा इतिहास: नक्सल प्रभावित क्षेत्र से निकली दो बहनों ने खेल जगत में बिखेरा सितारों सा तेज:

छत्तीसगढ़ : के कोंडागांव जैसे नक्सल प्रभावित इलाके से जहां बंदूकें और डर की कहानियां सुनाई देती थीं, अब वहां से उम्मीद और जुनून की नई कहानी लिखी जा रही है। इस बार कहानी की नायिकाएं हैं दो बहनें—रंजीता और उनकी छोटी बहन, जिन्होंने अपने अथक परिश्रम और दृढ़ निश्चय से खेल जगत में अपनी पहचान बनाई है।

रंजीता (17 वर्ष) ने खेलो इंडिया के प्रतिष्ठित जूडो प्रतियोगिता में 52 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर न सिर्फ राज्य बल्कि देश के खेल मानचित्र पर कोंडागांव का नाम रोशन किया है। उनकी फुर्ती, तकनीक और आत्मविश्वास ने बड़े-बड़े खिलाड़ियों को हैरान कर दिया।

वहीं, उनकी छोटी बहन भी पीछे नहीं हैं। वे तीरंदाजी में अपना हुनर निखार रही हैं और लगातार अभ्यास कर रही हैं ताकि आने वाले राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में वह भी अपने तीर से सटीक निशाने साध सके।

इन दोनों बहनों की सफलता की कहानी सिर्फ एक खेल उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह उन तमाम बेटियों के लिए प्रेरणा है जो कठिनाइयों से लड़कर अपने सपनों को साकार करना चाहती हैं। ग्रामीण परिवेश, सीमित संसाधनों और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद इन बहनों ने दिखा दिया कि अगर हौसला हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।

कोंडागांव के इन सितारों ने साबित कर दिया है कि हुनर न तो हालात देखता है, न ही जगह—वो बस उड़ान चाहता है।



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