संघ मुख्यालय नागपुर में छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता अरविंद नेताम होंगे प्रमुख अतिथि, इतिहास रचने जा रहा है 5 जून: रायपुर : छत्तीसगढ़ की सामाज...
संघ मुख्यालय नागपुर में छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता अरविंद नेताम होंगे प्रमुख अतिथि, इतिहास रचने जा रहा है 5 जून:
रायपुर : छत्तीसगढ़ की सामाजिक और राजनीतिक परिपाटी में एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज होने जा रहा है। बस्तर और समूचे आदिवासी समाज के लिए यह अवसर केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि संवाद और समझ के एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत भी है।
देश के सबसे प्रभावशाली संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय नागपुर में पहली बार कांग्रेस पृष्ठभूमि से आने वाले एक दिग्गज आदिवासी नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम को प्रमुख अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। यह आमंत्रण स्वयं संघ प्रमुख मोहन भागवत की ओर से आया है।
अरविंद नेताम, जो इंदिरा गांधी और नरसिम्हा राव की सरकारों में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं, 3 से 5 जून तक नागपुर में आयोजित संघ के विशेष प्रशिक्षण शिविर में भाग लेंगे और समापन सत्र में मंच साझा करेंगे।
"सांस्कृतिक भिन्नता के बावजूद संवाद जरूरी है" – नेताम
लल्लूराम डॉट कॉम से विशेष बातचीत में अरविंद नेताम ने इसे "ऐतिहासिक क्षण" बताते हुए कहा,
> "संघ और मेरी विचारधारा में भिन्नता है, लेकिन संवाद और समझ जरूरी है। मैं नागपुर जाकर संघ की गतिविधियों को नजदीक से देखना चाहता हूं और 5 जून को मोहन भागवत के साथ मंच साझा करूंगा।"
उन्होंने कहा कि संघ द्वारा आदिवासियों को "वनवासी" कहे जाने पर उनकी आपत्ति रही है, जो उन्होंने पहले भी संघ के कार्यक्रमों में दर्ज कराई है।
> "आदिवासी हिंदू हैं या नहीं, यह बहस का विषय रहा है। लेकिन मेरा स्पष्ट मानना है कि आदिवासियों की अपनी पूजा-पद्धति है, जिसे सम्मान मिलना चाहिए," नेताम ने कहा।
संघ से संवाद की पहल, राजनीतिक सरोकार भी
अरविंद नेताम ने यह भी कहा कि वह संघ के समक्ष बस्तर, छत्तीसगढ़ और आदिवासी समाज से जुड़े मुद्दों को खुलकर रखेंगे।
> "भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारों में संघ की भूमिका सभी जानते हैं। इसलिए मैं चाहता हूं कि संघ हमारे मुद्दों को गंभीरता से सुने और समझे।"
नेताम ने संघ के कई सामाजिक कार्यों की सराहना भी की, और मोहन भागवत के खुले विचारों की तारीफ़ करते हुए कहा:
> "संघ का दृष्टिकोण अलग है, लेकिन उनके कई कार्य प्रशंसनीय भी हैं। मोहन भागवत ने कई बार सामाजिक मुद्दों पर मुखरता से बात की है, और यही हम सभी की जिम्मेदारी है – एक बेहतर भारत, छत्तीसगढ़ और समाज का निर्माण।"
नेताम का राजनीतिक सफर: कांग्रेस से लेकर समाज सेवा तक
अरविंद नेताम आज भले ही सक्रिय राजनीति से दूर हैं, लेकिन उनका राजनीतिक सफर प्रभावशाली रहा है।
वे पांच बार लोकसभा सांसद रहे।
इंदिरा गांधी सरकार में सबसे युवा मंत्री के रूप में शपथ ली।
90 के दशक में नरसिम्हा राव सरकार में भी मंत्री रहे।
छत्तीसगढ़ के गठन के बाद वीसी शुक्ल के साथ एनसीपी में भी सक्रिय रहे।
2018 में कांग्रेस में वापसी हुई, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस से नाराजगी के चलते राजनीति से संन्यास ले लिया।
अब वे सर्व आदिवासी समाज के प्रमुख चेहरा हैं।
5 जून का दिन न केवल संघ के लिए बल्कि छत्तीसगढ़ और आदिवासी राजनीति के इतिहास के लिए भी एक नया मोड़ होगा — जहां वैचारिक विभाजन के बावजूद संवाद, स्वीकार्यता और समावेश का मंच स्थापित होने जा रहा है।
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