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सीबीएसई की नई पहल: मातृभाषा में होगी प्राइमरी शिक्षा, शैक्षिक और भावनात्मक विकास को मिलेगा बल

  सीबीएसई की नई पहल: मातृभाषा में होगी प्राइमरी शिक्षा, शैक्षिक और भावनात्मक विकास को मिलेगा बल रायपुर: शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कद...

 सीबीएसई की नई पहल: मातृभाषा में होगी प्राइमरी शिक्षा, शैक्षिक और भावनात्मक विकास को मिलेगा बल

रायपुर: शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 3 से 11 वर्ष तक के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में करवाने की दिशा में नई गाइडलाइन जारी की है। इस फैसले का उद्देश्य बच्चों के संज्ञानात्मक, भावनात्मक और भाषाई विकास को मजबूती देना है।

गाइडलाइन के अनुसार, अब प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा 5वीं तक की पढ़ाई मातृभाषा में कराई जाएगी। इससे बच्चों को न केवल अपनी संस्कृति से जुड़ने का अवसर मिलेगा, बल्कि जटिल विषयों को भी सहजता से समझने में मदद मिलेगी।


मुख्य बिंदु:

मातृभाषा में शिक्षा: 3 से 11 वर्ष तक के बच्चों के लिए कक्षाएं मातृभाषा या स्थानीय भाषा में संचालित होंगी।

विशेष कमेटी का गठन: पाठ्यक्रम के संचालन और क्रियान्वयन के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा।

शिक्षकों को प्रशिक्षण: शिक्षकों को मातृभाषा में पढ़ाने हेतु विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि गुणवत्ता में कोई समझौता न हो।

व्यक्तिगत और सामाजिक विकास: नई व्यवस्था बच्चों में आत्मविश्वास, विचार व्यक्त करने की क्षमता और सामाजिक जुड़ाव को बढ़ावा देगी।

शिक्षाविदों का मानना है कि यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) की भावना के अनुरूप है, जिसमें मातृभाषा को प्रारंभिक शिक्षा का माध्यम बनाने की सिफारिश की गई थी।

यह बदलाव न केवल शिक्षा को अधिक समावेशी और सुगम बनाएगा, बल्कि बाल मनोविज्ञान के अनुरूप सीखने की प्रक्रिया को भी और अधिक प्रभावी बना देगा। अब यह देखने वाली बात होगी कि राज्यों और स्कूलों में इस दिशा में कितनी तत्परता से क्रियान्वयन होता है।




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