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🔴 बस्तर नहीं हुआ नक्सल मुक्त: बीजापुर, कांकेर समेत 4 जिले आज भी 'अति नक्सल प्रभावित'

  ➡️ देश के 48 जिलों की नई सूची जारी, 4 श्रेणियों में बांटे गए नक्सल प्रभावित क्षेत्र: बस्तर : देश की आंतरिक सुरक्षा को लंबे समय से चुनौती द...

 

➡️ देश के 48 जिलों की नई सूची जारी, 4 श्रेणियों में बांटे गए नक्सल प्रभावित क्षेत्र:

बस्तर : देश की आंतरिक सुरक्षा को लंबे समय से चुनौती देते आ रहे वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism - LWE) को लेकर केंद्र सरकार ने 2025 के लिए नई सूची जारी की है। इस रिपोर्ट में नक्सल प्रभावित 9 राज्यों के 48 जिलों को चार अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र, जिसे बार-बार नक्सलमुक्त बताया गया, अभी भी पूरी तरह मुक्त नहीं हुआ है। राज्य के बीजापुर, कांकेर, दंतेवाड़ा और सुकमा जैसे जिले ‘अति नक्सल प्रभावित’ की श्रेणी में शामिल हैं।


📌 LWE की 4 श्रेणियां: क्या है इनका आधार?

LWE ने जिलों को निम्नलिखित चार श्रेणियों में बांटा है:

1. अति प्रभावित जिले (Most Affected)

2. प्रमुख निगरानी जिले (Key Watchlist)

3. संवेदनशील लेकिन नियंत्रण में जिले (Controlled yet Sensitive)

4. सुधार की ओर अग्रसर जिले (Improving Zones)


🔍 इन 3 राज्यों के 6 जिले 'अति प्रभावित :

2025 की सूची में छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र के 6 जिले ऐसे हैं जिन्हें ‘Most Affected LWE Districts’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

इनमें शामिल हैं:

छत्तीसगढ़: बीजापुर, सुकमा

झारखंड: गढ़वा, लातेहार

महाराष्ट्र: गढ़चिरौली, गोंदिया


📊 राज्यवार आंकड़ा: कौन कितना प्रभावित?

राज्य प्रभावित जिले अति प्रभावित जिले

छत्तीसगढ़ 14 2

झारखंड 16 2

महाराष्ट्र 6 2

ओडिशा 8 0

आंध्रप्रदेश 2 0

तेलंगाना 1 0

मध्यप्रदेश 1 0

बिहार 1 0

केरल 1 0


🗣️ विशेषज्ञों की राय:

सुरक्षा विश्लेषक के अनुसार:

> "संख्या में कमी भले दिखे, लेकिन जमीनी हकीकत में बस्तर, बीजापुर और कांकेर जैसे क्षेत्रों में अभी भी उग्रवाद का साया है। सुरक्षा बलों की निरंतर तैनाती और जनसहभागिता से ही स्थायी समाधान संभव है।"


📢 सरकार की रणनीति क्या है?

‘स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंस’ योजना के तहत प्रभावित जिलों में विकास कार्यों के लिए विशेष अनुदान

SRE (Security Related Expenditure) के तहत सुरक्षा बलों की तैनाती

‘ऑपरेशन समर्पण’ के ज़रिए आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास


🔚 क्या बस्तर को मिलेगा पूरी तरह से चैन?

बस्तर के जंगलों में अभी भी चुनौतियाँ जीवित हैं। भले ही कई क्षेत्रों में स्कूल, सड़कें और स्वास्थ्य केंद्र खुल गए हैं, लेकिन सुरक्षा बलों और सरकार को मिलकर स्थानीय विश्वास जीतना होगा, तभी असली नक्सलमुक्ति संभव है।

🗞️ आप तक पहुँचा देश का सुरक्षा पर एक सटीक और तथ्यपूर्ण समाचार।


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