महिला को कौमार्य परीक्षण के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: हाई कोर्ट: रायपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी भी महिल...
महिला को कौमार्य परीक्षण के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: हाई कोर्ट:
रायपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी भी महिला को कौमार्य परीक्षण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। अदालत ने इसे असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है, जो प्रत्येक नागरिक को गरिमा के साथ जीवन जीने और स्वतंत्रता की सुरक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि किसी भी महिला को इस प्रकार के परीक्षण के लिए मजबूर करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह उसकी निजता और आत्मसम्मान पर भी आघात करता है। अदालत ने कहा कि किसी महिला के कौमार्य की जांच करने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और यह पूरी तरह से अपमानजनक प्रक्रिया है।
यह मामला तब सामने आया जब एक महिला ने अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया। पीड़िता ने अपनी याचिका में बताया कि उसे अनैच्छिक रूप से इस अमानवीय प्रक्रिया से गुजरने के लिए मजबूर किया गया। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि भविष्य में किसी भी महिला के साथ ऐसा न हो।
कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए और जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को शिक्षित करे कि कौमार्य परीक्षण महिलाओं की गरिमा और मानवाधिकारों के खिलाफ है।
इस फैसले को महिला अधिकार संगठनों ने सराहा है और इसे महिलाओं की स्वतंत्रता और सम्मान की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। कोर्ट के इस निर्णय से महिलाओं के मौलिक अधिकारों की रक्षा को और मजबूती मिलेगी।
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