411 करोड़ की दवा-उपकरण खरीदी में घोटाला, आरोपियों की भूमिका पर संदेह: रायपुर : छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) में हुए 411 करोड...
411 करोड़ की दवा-उपकरण खरीदी में घोटाला, आरोपियों की भूमिका पर संदेह:
रायपुर : छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) में हुए 411 करोड़ रुपये के दवा और मेडिकल उपकरण खरीदी घोटाले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने चार आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति सिन्हा की अध्यक्षता में सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि एसीबी (ACB) और ईओडब्ल्यू (EOW) की प्रारंभिक जांच में आरोपियों की संलिप्तता सामने आई है, जिसके चलते उन्हें राहत नहीं दी जा सकती।
निजी फर्म के प्रमोटर समेत अन्य आरोपियों की याचिका खारिज:
गौरतलब है कि इस घोटाले में शामिल एक निजी फर्म के प्रमोटर समेत अन्य तीन आरोपियों ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन, अदालत ने यह कहते हुए याचिका को नामंजूर कर दिया कि जांच अभी जारी है और आरोपियों की भूमिका संदिग्ध है। अदालत ने कहा कि इस स्तर पर आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है।
ACB-EOW की जांच में क्या सामने आया?
राज्य सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने CGMSC घोटाले की जांच में कई अनियमितताओं का खुलासा किया है। जांच में यह पाया गया कि दवा और उपकरणों की खरीद में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया था। आरोप है कि कुछ निजी कंपनियों को नियमों के विरुद्ध अनुबंध दिए गए, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी:
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस घोटाले में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन की हानि हुई है। अदालत ने कहा कि जब तक पूरी जांच नहीं हो जाती, तब तक आरोपियों को जमानत देना न्यायहित में उचित नहीं होगा।
आगे क्या?
अब इस मामले में आरोपियों पर कानूनी शिकंजा और कस सकता है। ACB-EOW की टीम आगे की जांच में जुटी हुई है और घोटाले से जुड़े अन्य तथ्यों की पड़ताल कर रही है। सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
इस फैसले के बाद सरकार और जांच एजेंसियों को बड़ा समर्थन मिला है, जिससे घोटाले में शामिल अन्य आरोपियों पर भी कड़ी कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है।
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