दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा नकदी विवाद में घिरे, सुप्रीम कोर्ट ने किया स्थानांतरण का फैसला: दिल्ली : हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत...
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा नकदी विवाद में घिरे, सुप्रीम कोर्ट ने किया स्थानांतरण का फैसला:
दिल्ली : हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा एक बड़े विवाद में फंस गए हैं। उनके घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद न्यायपालिका में हड़कंप मच गया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस विवाद के चलते उन्हें उनके मूल कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस भेजने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक कदम उठाने की बात कही है।
कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा?
जस्टिस वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बीकॉम (ऑनर्स) किया और रीवा विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। 1992 में उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत शुरू की और 2014 में अतिरिक्त जज बने। 2016 में उन्हें स्थायी जज के रूप में पदोन्नत किया गया और 2021 में उनका स्थानांतरण दिल्ली हाई कोर्ट में कर दिया गया।
नकदी विवाद पर कोई प्रतिक्रिया नहीं:
नकदी बरामदगी के बाद से जस्टिस वर्मा ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। उनके कार्यालय ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि वह "छुट्टी पर" हैं। दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने इस घटना को "दुखद" बताते हुए कहा कि न्यायपालिका में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कड़े कदम उठाए जाएंगे।
जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पर उठा सवाल:
वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग की है। उन्होंने कहा, "न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का मुद्दा नया नहीं है। इस तरह की घटनाएं दर्शाती हैं कि नियुक्ति प्रक्रिया को और सावधानीपूर्वक करने की जरूरत है।"
यह मामला न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर गंभीर बहस छेड़ चुका है। सुप्रीम कोर्ट की अगली कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं।
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