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अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघ संरक्षण के सामने बड़ी चुनौती: 19 गांव और 10 हजार से अधिक मवेशी

  अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघ संरक्षण के सामने बड़ी चुनौती: 19 गांव और 10 हजार से अधिक मवेशी: बिलासपुर :  अचानकमार टाइगर रिजर्व (एटीआर) के...

 अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघ संरक्षण के सामने बड़ी चुनौती: 19 गांव और 10 हजार से अधिक मवेशी:

बिलासपुर : अचानकमार टाइगर रिजर्व (एटीआर) के कोर जोन में अभी भी 19 गांव बसे हुए हैं, जहां 10 हजार से अधिक मवेशी पल रहे हैं। बाघों के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण विकसित करने की दिशा में ये गांव सबसे बड़ी बाधा बने हुए हैं।

संरक्षण के प्रयासों में अड़चन

एटीआर को बाघों का प्राकृतिक रहवास बनाने की प्रक्रिया वर्षों से जारी है, लेकिन जंगल के अंदर बसे इन गांवों को अब तक नहीं हटाया जा सका है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, इंसानी आबादी और मवेशियों की उपस्थिति से बाघों का प्राकृतिक आवास प्रभावित हो रहा है।


दैहान की समस्या

पहले जंगल के अंदर दैहान (पशु चराई स्थल) की संख्या अधिक थी, जहां स्थानीय लोग अपने मवेशियों को चराने ले जाते थे। इससे न केवल जंगल की पारिस्थितिकी पर असर पड़ा, बल्कि शिकारियों और अवैध गतिविधियों को भी बढ़ावा मिला। प्रशासन ने इन दैहानों को हटाने की पहल की थी, लेकिन गांवों के न हटने के कारण यह समस्या अब भी बनी हुई है।


क्या है समाधान?

वन विभाग और प्रशासन इन गांवों के पुनर्वास की योजना बना रहे हैं, ताकि जंगल को पूरी तरह बाघों के अनुकूल बनाया जा सके। हालांकि, ग्रामीणों की जीविका, सामाजिक संरचना और पुनर्वास के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता जैसे कई कारक इस प्रक्रिया को धीमा कर रहे हैं।

सरकार और वन विभाग के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि कैसे इन गांवों को सुरक्षित तरीके से जंगल से बाहर बसाया जाए, ताकि अचानकमार टाइगर रिजर्व को बाघों का सुरक्षित ठिकाना बनाया जा सके।


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