छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले से गए 40 मजदूरों में 9 गंभीर रूप से बीमार, 60-90% फेफड़े हो चुके हैं खराब: दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्र...
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले से गए 40 मजदूरों में 9 गंभीर रूप से बीमार, 60-90% फेफड़े हो चुके हैं खराब:
दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के छह गांवों से काम की तलाश में तेलंगाना गए मजदूरों के लिए यह सफर जानलेवा साबित हो रहा है। हाल ही में जिले के 9 मजदूरों में सिलिको टीबी (सिलिकोसिस ट्यूबरकुलोसिस) के गंभीर मामले सामने आए हैं। इन मजदूरों के 60 से 90% तक फेफड़े पूरी तरह खराब हो चुके हैं।
दंतेवाड़ा के कुटरेम, गुमियापाल, भांसी, मदाड़ी समेत छह गांवों के 40 मजदूर तेलंगाना की एक फैक्ट्री में काम करने गए थे। वहां खनन और निर्माण कार्य के दौरान जहरीली धूल के संपर्क में आने से वे सिलिकोसिस टीबी का शिकार हो गए। यह बीमारी आमतौर पर खदानों, पत्थर तोड़ने वाली फैक्ट्रियों और सीमेंट निर्माण स्थलों पर काम करने वालों को होती है, जहां सिलिका (Quartz) युक्त धूल हवा में रहती है और सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचकर उन्हें खराब कर देती है।
स्वास्थ्य विभाग ने की पुष्टि, इलाज जारी:
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग द्वारा 7 दिसंबर 2024 से 1 जनवरी 2025 के बीच किए गए सर्वे में इन मजदूरों की हालत का पता चला। डॉक्टरों के मुताबिक, यह पहली बार है जब प्रदेश में इतनी बड़ी संख्या में सिलिको टीबी के मरीज मिले हैं। बीमार मजदूरों का इलाज रायपुर और दंतेवाड़ा के अस्पतालों में चल रहा है।
जानलेवा है सिलिकोसिस टीबी:
विशेषज्ञों के अनुसार, सिलिकोसिस से प्रभावित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत, तेज खांसी, कमजोरी और वजन घटने जैसी समस्याएं होती हैं। अगर समय पर इलाज न मिले, तो यह घातक हो सकता है। दंतेवाड़ा प्रशासन ने प्रभावित मजदूरों के परिवारों की आर्थिक मदद और पीड़ितों को बेहतर इलाज देने की बात कही है।
मजदूरों की सुरक्षा पर उठे सवाल:
इस घटना ने एक बार फिर प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और कार्यस्थलों पर स्वास्थ्य मानकों की अनदेखी को उजागर किया है। मजदूर संगठनों ने सरकार से मांग की है कि बाहर काम करने जाने वाले श्रमिकों के स्वास्थ्य की नियमित जांच हो और उन्हें बेहतर सुरक्षा सुविधाएं दी जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
(यह खबर लगातार अपडेट की जा रही है...)
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