झाड़-फूंक में बीता वक्त, अस्पताल पहुंचने से पहले मासूम ने तोड़ा दम पागल कुत्ते के काटने से फैला रैबीज, झाड़-फूंक में उलझे परिजन—समय पर इला...
झाड़-फूंक में बीता वक्त, अस्पताल पहुंचने से पहले मासूम ने तोड़ा दम पागल कुत्ते के काटने से फैला रैबीज, झाड़-फूंक में उलझे परिजन—समय पर इलाज न मिलने से मासूम की मौत:
सरगुजा: अंधविश्वास और लापरवाही के चलते एक मासूम की जिंदगी समय से पहले ही खत्म हो गई। पागल कुत्ते के काटने से हुए संक्रमण (रैबीज) की चपेट में आने के बाद उचित इलाज के अभाव में एक बच्चे की मौत हो गई।
झाड़-फूंक में बीता कीमती समय:
मिली जानकारी के अनुसार, पीड़ित बच्चा कुछ दिन पहले पागल कुत्ते का शिकार हुआ था। परिजनों ने चिकित्सकीय सहायता लेने के बजाय झाड़-फूंक और जड़ी-बूटियों के जरिए इलाज कराने का फैसला किया। अंधविश्वास के चलते वे समय गंवाते रहे, जबकि रैबीज जैसी जानलेवा बीमारी के लिए तुरंत टीकाकरण जरूरी होता है।
गंभीर हालात में पहुंचाया अस्पताल, लेकिन देर हो चुकी थी:
जब बच्चे की हालत बिगड़ने लगी—उसे तेज बुखार, मांसपेशियों में ऐंठन और पानी से डर जैसी लक्षण दिखाई देने लगे—तब परिजनों ने उसे अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने बताया कि यदि समय रहते एंटी-रैबीज टीका लगाया जाता, तो बच्चे की जान बचाई जा सकती थी।
स्वास्थ्य विभाग की अपील—अंधविश्वास छोड़ें, वैज्ञानिक इलाज अपनाएं:
इस दुखद घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे झाड़-फूंक और अंधविश्वास में समय न गवाएं। कुत्ते के काटने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और टीकाकरण कराएं, क्योंकि रैबीज एक लाइलाज बीमारी है और इसका एकमात्र बचाव समय पर वैक्सीन लगवाना है।
निष्कर्ष:
यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि आधुनिक चिकित्सा की अनदेखी करना कितना घातक हो सकता है। लोगों को जागरूक होकर झाड़-फूंक जैसी प्रथाओं से दूर रहना चाहिए और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।
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