फॉसिल्स पार्क को राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक का दर्जा: शिक्षा और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, रोजगार के नए अवसर: कोरिया : जिले के मनेंद्रगढ़...
फॉसिल्स पार्क को राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक का दर्जा: शिक्षा और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, रोजगार के नए अवसर:
कोरिया : जिले के मनेंद्रगढ़ क्षेत्र में हसदेव नदी के तट पर स्थित फॉसिल्स पार्क को भारत के पहले राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक का दर्जा प्रदान किया गया है। इस ऐतिहासिक निर्णय से क्षेत्र में शिक्षा, पर्यटन और रोजगार के नए अवसरों को बढ़ावा मिलेगा।
वैज्ञानिक और ऐतिहासिक महत्व 1954 में कोयला की खोज के दौरान भूवैज्ञानिक एस. पी. चोपड़ा ने गोंडवाना मरीन फॉसिल्स पार्क की खोज की थी। यह पार्क जैव-विविधता और भूवैज्ञानिक इतिहास के अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें लाखों वर्ष पुराने समुद्री जीवों के जीवाश्म पाए जाते हैं, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए अमूल्य हैं।
पर्यटन और शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक घोषित होने से इस स्थल पर देश-विदेश से पर्यटकों और शोधकर्ताओं का आगमन बढ़ेगा। इसके अलावा, इसे एक प्रमुख एजुकेशन हब के रूप में भी विकसित किया जाएगा, जिससे छात्रों और शोधकर्ताओं को प्राचीन पृथ्वी और जीवाश्म विज्ञान की जानकारी प्राप्त होगी।
रोजगार के नए अवसर पर्यटन के बढ़ने से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। गाइड, होटल, ट्रांसपोर्ट और अन्य सुविधाओं से जुड़े व्यवसायों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा, इस क्षेत्र में शोध और संरक्षण कार्यों के लिए भी नई नौकरियों का सृजन होगा।
सरकार की योजनाएं सरकार इस पार्क को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए विशेष योजनाएं बना रही है। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाएं, म्यूजियम और इंटरप्रेटेशन सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
फॉसिल्स पार्क को राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक का दर्जा मिलना न केवल कोरिया जिले के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव की बात है। यह निर्णय भूवैज्ञानिक धरोहर के संरक्षण और वैज्ञानिक अध्ययन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायक होगा।
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