135 वर्षों बाद बस्तर राजमहल से निकलेगी ऐतिहासिक बारात, 100 से अधिक राजघराने होंगे साक्षी: बस्तर : के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा र...
135 वर्षों बाद बस्तर राजमहल से निकलेगी ऐतिहासिक बारात, 100 से अधिक राजघराने होंगे साक्षी:
बस्तर : के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है, जब 135 वर्षों बाद बस्तर राजमहल से भव्य बारात निकलेगी। बस्तर महाराजा कमलचंद्र भंजदेव का विवाह 20 फरवरी को सतना के किला नागौद के महाराजा शिवेंद्र प्रताप सिंह की पुत्री भुवनेश्वरी कुमारी के साथ संपन्न होगा। इस ऐतिहासिक विवाह समारोह में देशभर के 100 से अधिक राजघराने शामिल होंगे।
इतिहास का दोहराव:
बस्तर राजमहल से अंतिम बार बारात 1890 में निकली थी, जब राजा रुद्रप्रताप देव का विवाह हुआ था। उसके बाद 1923 में महारानी प्रफुल्ल कुमारी देवी का विवाह तो हुआ, लेकिन तब बारात नहीं निकली थी। अब पांच पीढ़ियों के बाद, 135 वर्षों बाद, यह गौरवशाली परंपरा पुनर्जीवित हो रही है।
राजसी वैभव और संस्कृति की झलक:
इस ऐतिहासिक विवाह समारोह में भारतीय राजपरिवारों की समृद्ध संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। देश के विभिन्न हिस्सों से आए 100 से अधिक राजघराने इस अनूठे अवसर के साक्षी बनेंगे। इस समारोह में बस्तर की कुलदेवी, मां दंतेश्वरी, भी प्रतीकात्मक रूप से बारात का हिस्सा बनेंगी और नागौद तक जाएंगी।
बस्तर की परंपरा का पुनरुद्धार:
इस भव्य आयोजन से न केवल बस्तर की गौरवशाली परंपरा पुनर्जीवित होगी, बल्कि यह ऐतिहासिक धरोहर को नई पहचान भी दिलाएगा। यह विवाह समारोह न केवल दो राजघरानों का मिलन है, बल्कि भारतीय शाही परंपराओं और संस्कृति का भी एक महत्वपूर्ण उत्सव है।
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