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प्रशासन के उत्पीड़न से आदिवासी कर रहे आत्महत्या,मुख्मयंत्री देते है मीडिया को धमकी,युवाओ का कॅरियर खत्म करने की चेतावनी और विपक्ष के नेताओं को जेल ये इमरजेंसी नही तो क्या है? : भाजपा

  0 कवर्धा मामले में मूल दोषियों के बजाय भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को ज़ेल में डाला, सबूत होने के दुर्भावनापूर्ण दावों के मद्देनज़र कोई भी ...

 


0 कवर्धा मामले में मूल दोषियों के बजाय भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को ज़ेल में डाला, सबूत होने के दुर्भावनापूर्ण दावों के मद्देनज़र कोई भी सबूत अब तक सार्वजनिक नहीं*

*0 झीरम के नक्सली-कांड के सबूत जेब में लिए घूमने की शेखी बघारते बघेल को सबूत के दावे करने की लत तो है, पर सबूत पेश करने में वे हमेशा फिसड्डी ही साबित होते हैं : साय*

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ में अघोषित आपातकाल थोपने का कुचक्र चलाकर संविधानप्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को छीनने के अपने चिर-परिचित राजनीतिक चरित्र का प्रदर्शन कर रही है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह की बातें अक्षम्य हैं।


भाजपा प्रदेश अध्यक्ष  श्री साय ने कवर्धा की सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनज़र प्रदेश सरकार के एकांगी दुराग्रह और उसके दबाव व इशारों पर की गई प्रशासनिक कार्रवाइयों का उल्लेख करते हुए कहा कि कवर्धा मामले में मूल दोषियों को गिरफ़्तार करने के बजाय जान-बूझकर भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एफ़आईआर करके ज़ेल में डाला गया है। भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ सबूत होने के किए जा रहे दुर्भावनापूर्ण दावों के मद्देनज़र कोई भी सबूत अब तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। श्री साय ने तीखे लहजे में कटाक्ष किया कि झीरम के नक्सली-कांड के सबूत जेब में लिए घूमने की शेखी बघारते मुख्यमंत्री बघेल को सबूत के दावे करने की लत तो है, पर सबूत पेश करने में वे हमेशा फिसड्डी ही साबित होते हैं। हालात यह हैं कि मुख्यमंत्री और सरकार के मंत्री ख़ुद पुलिस को बता रहे हैं कि किस व्यक्ति के ख़िलाफ़ कब और किस धारा में केस दर्ज़ करना है! श्री साय ने कहा कि क़ानूनी कार्रवाई और प्रक्रिया तक करने की पुलिस को कोई स्वतंत्रता नहीं रह गई है।


भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि प्रदेश में इन दिनों जनता का उत्पीड़न भी चरम पर है। पिछले एक सप्ताह में दो आदिवासियों ने पुलिस प्रताड़ना व उसकी दमनात्मक कार्रवाई से तंग आकर आत्महत्या तक कर ली है। श्री साय ने हैरत जताते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ देश का इकलौता ऐसा प्रदेश है, जहाँ के मुख्यमंत्री खुलेआम मीडिया को भी धमकी देते हैं कि “राहुल गांधी इस समय विपक्ष के प्रमुख नेता हैं और उनके बारे में अभद्र भाषा का प्रयोग कांग्रेस कार्यकर्ता क़तई स्वीकार नहीं करेंगे। लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का दायित्व निभा रहे हर मीडिया का पूर्ण सम्मान है, लेकिन मर्यादा नहीं भूलना चाहिए।” एक सासंद की राजनीतिक हैसियत रखने वाले अपने नेता के लिए बिफरते मुख्यमंत्री की इस भाषा से यह भी साफ़ हो जाता है कि कुर्सी बचाने के लिए मुख्यमंत्री बघेल चाटुकारिता की सारी हदें लांघ जाने को बेताब हुए जा रहे हैं। श्री साय ने कहा कि भाजपा किसी के भी प्रति अभद्र भाषा के प्रयोग की क़तई हिमायती नहीं है, लेकिन आपातकाल वाली मानसिकता से ग्रस्त राजनीतिक तौर पर दी जा रही धमकियों को भी हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह वही प्रदेश सरकार है जो शिक्षक अभ्यर्थियों के आंदोलन के दौरान प्रदेश के युवाओं को पुलिस के द्वारा उनका भविष्य चौपट करने की धमकी दिलवा चुकी है। कुल मिलाकर, प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने अघोषित आपातकाल थोप रखा है और किसी को भी अपनी बात कहने की आज़ादी प्रदेश सरकार सहन नहीं कर रही है।

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