बस्तर की 5 तस्वीरें जो आपकी सोच बदल देंगी बस्तर का नाम लेते ही अविकसित जंगलों और संघर्षों की पारंपरिक छवि उभर आती ह...
बस्तर की 5 तस्वीरें जो आपकी सोच बदल देंगी
बस्तर का नाम लेते ही अविकसित जंगलों और संघर्षों की पारंपरिक छवि उभर आती है, लेकिन आज यह वही क्षेत्र अपने भीतर एक नयाअध्याय लिख रहा है—उम्मीद, ऊर्जा और बदलाव का अध्याय। यहाँ के युवाओं की आकांक्षाओं और महिलाओं के अभूतपूर्व हौसलों ने बस्तर को एक नई दिशा दी है। हाल की पाँच घटनाएँ न केवल इस परिवर्तन को स्थापित करती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि बस्तर अब बीते कल की कहानी नहीं, बल्कि उभरते भविष्य का प्रदेश है।
पहली तस्वीर: जब ओलंपिक की मशाल ने तोड़ी पुरानी बेड़ियाँ
बस्तर ओलंपिक 2025 का शुभारंभ एक खेल आयोजन से बढ़कर सामाजिक बदलाव का संदेश लेकर आया। जब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के हाथों प्रज्वलित मशाल को सुकमा के विजय डोडी और नारायणपुर की सलोनी कवाची ने थामा, तो वह क्षण बस्तर की नई पीढ़ी के उभार का प्रतीक बन गया। कभी अतिसंवेदनशील माने जाने वाले इलाकों से निकलकर इन युवाओं का हजारों दर्शकों के बीच दौड़ना बस्तर की मानसिक बेड़ियों को तोड़ने जैसा था।
भारतीय खेल जगत की शान मैरी कॉम का इस अवसर पर मौजूद रहना इस परिवर्तन को और भी ऐतिहासिक बना गया। यह तस्वीर सिर्फ़ खेल का उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और शांति की दिशा में उठाया गया एक निर्णायक कदम थी।
दूसरी तस्वीर: जहाँ 2 लाख से ज़्यादा महिलाएँ रच रहीं इतिहास
इस वर्ष बस्तर ओलंपिक में 3.92 लाख से अधिक प्रतिभागियों का पंजीयन हुआ, जिनमें से आश्चर्यजनक रूप से 2,27,000 से अधिक महिलाएँ थीं। यह संख्या केवल आँकड़ा नहीं—यह उस मौन क्रांति की गूंज है जिसे बस्तर की महिलाएँ स्वयं नेतृत्व दे रही हैं।
मुख्यमंत्री साय ने इस भागीदारी को महिला सशक्तिकरण का सबसे जीवंत उदाहरण बताया। पारंपरिक सीमाओं को पीछे छोड़ती ये महिलाएँ आज बस्तर की सामाजिक और विकास यात्रा की सबसे बड़ी वाहक हैं।
तीसरी तस्वीर: सिर्फ़ बड़े आयोजन नहीं, हर ज़िंदगी है क़ीमती
बस्तर का वास्तविक विकास उसके सबसे छोटे नागरिक तक पहुँचने वाली संवेदनशील व्यवस्था में दिखता है। मोतियाबिंद से पीड़ित 11 वर्षीय खेमेश्वर कश्यप की दृष्टि वापस लौटाना केवल एक चिकित्सकीय उपलब्धि नहीं, बल्कि नागरिक सरोकार का उदाहरण है।
इसी संवेदनशीलता को तब और गहराई मिलती है जब दो परिवारों को डूबने की दुर्घटनाओं में अपनों को खोने पर सरकार द्वारा 8 लाख रुपये की सहायता दी जाती है। विकास की जड़ें तभी मजबूत होती हैं जब शासन केवल योजनाओं में नहीं, करुणा में भी दिखता है।
चौथी तस्वीर: युवाओं की नई उड़ान—रोज़गार से स्वच्छता तक
बस्तर का युवा आज पारंपरिक सीमाओं से आगे बढ़कर अपनी भूमिका स्वयं गढ़ रहा है। रोजगार सृजन कार्यक्रमों के माध्यम से वह आर्थिक स्वतंत्रता की ओर कदम बढ़ा रहा है, वहीं निजी क्षेत्र में आयोजित प्लेसमेंट कैंप उसके भविष्य को नए अवसरों से जोड़ रहे हैं।
पांचवीं तस्वीर: यही भावना चित्रकूट जलप्रपात की सफाई में
यही भावना चित्रकूट जलप्रपात की सफाई में NSS स्वयंसेवकों की भागीदारी में झलकती है, जिन्होंने 42 बोरे कचरा हटाकर विरासत की रक्षा का संकल्प लिया। युवा आज बस्तर के सामाजिक और पर्यावरणीय भविष्य के संरक्षक बनकर उभर रहे हैं।
यह है नए बस्तर की पहचान
ये पाँच तस्वीरें मिलकर उस बस्तर की कथा कहती हैं, जो खेल की मशाल से लेकर महिलाओं की दृढ़ भागीदारी, संवेदनशील शासन और युवाओं की नवोन्मेषी मानसिकता तक, हर दिशा में आगे बढ़ रहा है। जब किसी क्षेत्र के युवा और महिलाएँ स्वयं अपने भाग्य का निर्माण करने लगें, तो विकास की संभावनाएँ असीमित हो जाती हैं।



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