विश्वनाथ तमस्कर कॉलेज, दुर्ग के मानवशास्त्र विभाग में दिनांक 10 अक्टूबर 2025 को एक विशेष आमंत्रित व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में डॉ. रूपेन्द्र कवि, मानववैज्ञानिक व उप सचिव, राजभवन (छत्तीसगढ़), उपस्थित हुए। उन्होंने “छत्तीसगढ़ में जनजातीय विकास: मानववैज्ञानिक दृष्टिकोण” विषय पर सारगर्भित व प्रेरणादायक वक्तव्य दिया।

डॉ. कवि ने अपने उद्बोधन में छत्तीसगढ़ की जनजातियों के सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश, पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों, विकास से जुड़े संघर्षों और नीति निर्माण में मानवीय दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को मानवशास्त्र के व्यावहारिक पक्ष, फील्ड वर्क की विधियों और जनजातीय समुदायों के साथ काम करने में आने वाली चुनौतियों व संभावनाओं से अवगत कराया।

कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने जिज्ञासापूर्वक विविध प्रश्न पूछे, जिनका डॉ. कवि ने सरल, वैज्ञानिक और संवेदनशील उत्तर देकर विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान किया। इससे छात्रों में मानवशास्त्र विषय के प्रति रुचि और गहरी समझ विकसित हुई।

“इस प्रकार के अकादमिक व्याख्यान विद्यार्थियों को न केवल ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि उनके व्यक्तित्व व सोच को भी व्यापक बनाते हैं।” — डॉ. सिंह, प्राचार्य

कार्यक्रम का आरंभ डॉ. गुलशन देशलहरा द्वारा अतिथि परिचय एवं स्वागत भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने डॉ. कवि के शैक्षणिक योगदान, शोध कार्य एवं प्रशासनिक अनुभवों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया।

अंत में विभागाध्यक्ष डॉ. संध्या अग्रवाल ने सत्र का आभार प्रदर्शन करते हुए कहा, “डॉ. कवि का व्याख्यान हमारे लिए अत्यंत लाभकारी रहा। इसने छात्रों और संकाय दोनों को नई दृष्टि और समझ दी है।”

इस व्याख्यान ने न केवल शैक्षणिक वातावरण को समृद्ध किया, बल्कि जनजातीय मुद्दों की संवेदनशील समझ विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी सिद्ध हुआ।