ए-हेल्प योजना से सशक्त होंगी ग्रामीण महिलाएं: बस्तर में पशुसखियों का 17 दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ जगदलपुर, 16 जुलाई 2025/ ग्रामीण...
जगदलपुर, 16 जुलाई 2025/ ग्रामीण आजीविका और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम पहल करते हुए ए-हेल्प (Accredited Agent for Health and Extension of Livestock Production) योजना के अंतर्गत बस्तर जिले में 17 दिवसीय पशुसखियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन जिला पंचायत बस्तर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री प्रतीक जैन द्वारा कुम्हरावंड स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में किया गया।
श्री जैन ने अपने वक्तव्य में कहा, “पशुपालन से संबंधित तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर महिलाएं न केवल क्षेत्रीय पशुपालकों की सेवा करेंगी, बल्कि स्वावलंबन की दिशा में एक सशक्त कदम भी बढ़ाएंगी।” उन्होंने पशु स्वास्थ्य, पोषण प्रबंधन, बीमारी की पहचान एवं उपचार, कृत्रिम गर्भाधान आदि विषयों की जानकारी को प्रशिक्षण की रीढ़ बताया।
कार्यक्रम में पशु सेवा बस्तर संभाग के संयुक्त संचालक डॉ. डी.के. नेताम ने प्रशिक्षण की 17 दिवसीय कार्ययोजना को विस्तारपूर्वक समझाया। उन्होंने बताया कि पशुसखियों को सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों ही रूपों में प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके तहत उन्हें प्रयोगात्मक कक्षाएं और फील्ड विजिट दोनों कराए जाएँगे, ताकि वे अपने-अपने क्षेत्रों में प्राथमिक पशु चिकित्सक की भूमिका निभा सकें।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. संतोष नाग ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, और ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से संचालित हो रहा है। उन्होंने कहा कि चयनित 27 पशुसखियों को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के अंतर्गत पंजीकृत कर प्रशिक्षित किया जा रहा है। चयन प्रक्रिया में जिला पंचायत बस्तर के मार्गदर्शन में जिले के सभी 7 विकासखंडों को सम्मिलित किया गया है।
शुभारंभ समारोह में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहीं 27 महिला पशुसखियों के साथ-साथ डॉ. राहुल साहू (वैज्ञानिक), श्री कमल ध्रुव (इंजीनियर), श्री दुष्यंत पाण्डेय, श्री दिनेश ध्रुव, डॉ. आलोक भार्गव, डॉ. योगेश देवांगन, डॉ. शेफाली मेश्राम, और NRLM के जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. नवीन साहू एवं श्री राजकुमार देवांगन जैसे विशेषज्ञों की उपस्थिति रही।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पशुपालन के क्षेत्र में ग्राम्य महिला शक्ति को एक नवीन पहचान और सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जिससे बस्तर की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकेगी।
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