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🌿 टाइगर बॉय चेंदरू: बस्तर की मिट्टी से उभरी गौरवगाथा | कविता

🌿 टाइगर बॉय चेंदरू 🌿 (बस्तर की माटी से उठी एक गौरवगाथा) बस्तर की गोद में पला, जहाँ हर पत्ता बोल चला, न...



🌿 टाइगर बॉय चेंदरू 🌿
(बस्तर की माटी से उठी एक गौरवगाथा)
बस्तर की गोद में पला,
जहाँ हर पत्ता बोल चला,
नारायणपुर का बालक एक,
चीता से करता था मन की नेक।
घना जंगल, गूंजते गान,
प्रकृति का अनुपम वरदान,
साल-बीज के साये तले,
माटी ने सपने खुद पले।
ना था भय, न कोई दूरी,
जीव-जंतुओं से थी पूरी,
चेंदरू जब बाघ से खेले,
धरती के गीत नयन में झेले।
ना बस खेल, ना बस मस्ती,
वो थी परंपरा की सच्ची बस्ती,
मनुष्य और वन्यजीव का मेल,
संस्कृति का सहज, शांत रेला।
आज वो है इतिहास बना,
गाथा में, चित्रों में सना,
फिल्मों में गूंजे उसका नाम,
"टाइगर बॉय" — हमारा अभिमान।
जब भी पहुँचूँ बस्तर धाम,
उठे हृदय में आदर तमाम,
हर जनजाति, हर लोक-राग,
झलकें उसमें चेंदरू की आग।
मेरे लिए वो गौरव-ध्वज है,
पूर्वजों की गाथा का सहज सजग है,
जिसने दिखाया जग को ये ज्ञान,
जंगल नहीं है जंग का स्थान।
"जहाँ चीता भी बन जाए सखा,
वहाँ की माटी है सच्चा शिक्षा।"


@डॉ रूपेन्द्र कवि
जगदलपुर-बस्तर से 🙏

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