🗓️ 19 जून | विश्व सिकल सेल रोग जागरूकता दिवस विश्व सिकल सेल रोग जागरूकता दिवस (World Sickle Cell Disease Awareness Day) हर वर्ष 19 जून ...
🗓️ 19 जून | विश्व सिकल सेल रोग जागरूकता दिवस
विश्व सिकल सेल रोग जागरूकता दिवस (World Sickle Cell Disease Awareness Day) हर वर्ष 19 जून को मनाया जाता है। यह दिन एक वैश्विक मंच प्रदान करता है ताकि सिकल सेल रोग (Sickle Cell Disease - SCD) के बारे में जानकारी फैलाई जा सके और इससे प्रभावित लोगों के जीवन में सुधार लाया जा सके।
क्या है सिकल सेल रोग?
सिकल सेल रोग एक अनुवांशिक रक्त विकार है जिसमें लाल रक्त कणिकाएं 'सिकल' या हँसिया के आकार की हो जाती हैं। इससे रक्त प्रवाह बाधित होता है, अंगों में ऑक्सीजन की कमी होती है, और तेज़ दर्द, थकान, संक्रमण और अन्य जटिलताएं होती हैं।
भारत की चुनौती और रणनीति
भारत में अनुमानित 1.5 लाख से अधिक लोग सिकल सेल एनीमिया से प्रभावित हैं, और करीब 20 मिलियन लोग इसका जीन वहन करते हैं। यह समस्या विशेष रूप से मध्य भारत के राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात आदि में गंभीर रूप में पाई जाती है।
भारत सरकार ने इस चुनौती को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय स्तर की पहलें शुरू की हैं:
- राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन (National Sickle Cell Elimination Mission) - 2023 में शुरू हुआ यह मिशन 2047 तक इस रोग के उन्मूलन का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
- स्क्रीनिंग और जीन परामर्श - जनजातीय क्षेत्रों में युवाओं और बच्चों की जन्म पूर्व और जन्म पश्चात स्क्रीनिंग की जा रही है।
- फॉलो-अप और निःशुल्क दवाएं - हाइड्रॉक्सी यूरिया जैसी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
- सामाजिक जागरूकता अभियान - नुक्कड़ नाटक, पोस्टर, स्कूलों में संवाद और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय प्रचार अभियान जारी हैं।
छत्तीसगढ़: फ्रंटफुट पर
छत्तीसगढ़, जो कि सिकल सेल रोग से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में से एक है, ने ब्लॉक स्तर पर स्क्रीनिंग शुरू कर दी है। राज्य सरकार ने स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों की जांच के साथ-साथ परामर्श सुविधाएं भी दी हैं।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 2024 तक 8 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है, जिनमें से कई मामलों में समय पर हस्तक्षेप से जीवन बचाया गया।
एक जनांदोलन की ज़रूरत
डॉक्टरों और नीति-निर्माताओं का मानना है कि सिकल सेल रोग से लड़ाई केवल चिकित्सा तक सीमित नहीं हो सकती — इसके लिए जन-जागरूकता, सामाजिक सहभागिता और सामूहिक प्रयासों की ज़रूरत है।
“सिकल सेल केवल एक बीमारी नहीं, यह एक सामाजिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है — जिसका समाधान विज्ञान और समाज के सहयोग से ही संभव है।”
– डॉ. वी. के. पॉल, सदस्य, नीति आयोग
विश्व सिकल सेल दिवस पर यह याद करना ज़रूरी है कि जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। भारत के प्रयासों से उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले वर्षों में यह रोग न केवल नियंत्रित होगा, बल्कि समाप्ति की ओर भी अग्रसर होगा। यह तभी संभव होगा जब हर नागरिक, हर संस्था और हर सरकार इस मुहिम में भागीदार बने।
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