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शहादत का सम्मान, संबल का विस्तार

शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों को अब राज्य के किसी भी विभाग और जिले में अनुकंपा नियुक्ति मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में ...

शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों को अब राज्य के किसी भी विभाग और जिले में अनुकंपा नियुक्ति

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की हालिया बैठक में राज्य के लिए एक संवेदनशील और दूरगामी निर्णय लिया गया। अब नक्सली हिंसा में शहीद हुए पुलिस कर्मियों के पात्र परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति राज्य के किसी भी विभाग और किसी भी जिले अथवा संभाग में दी जा सकेगी।

पूर्व नीति में यह नियुक्ति केवल पुलिस विभाग तक सीमित थी। लेकिन अब संशोधित निर्देशों के अनुसार, शिक्षा, स्वास्थ्य, राजस्व, लोक निर्माण जैसे किसी भी विभाग में नियुक्ति संभव होगी। यह निर्णय विशेषकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के उन परिवारों के लिए राहत बनेगा जो शहादत की पीड़ा के साथ बेरोजगारी की मार भी झेलते हैं।

मुख्य संशोधन बिंदु:

  • “Unified Revised Instructions–2013” की कंडिका 13(3) में संशोधन।
  • अब अनुकंपा नियुक्ति किसी भी विभाग और किसी भी स्थान पर दी जा सकेगी।
  • नियुक्ति की बाध्यता केवल पुलिस विभाग तक सीमित नहीं रहेगी।

पृष्ठभूमि: शहादत जिसने सोचने पर मजबूर किया

यह निर्णय हाल ही में सुकमा (कोंटा) में एक IED धमाके में शहीद हुए ASP श्री आकाश राव गिरेपुंजे की शहादत के बाद लिया गया। इस दुखद घटना ने शासन को संवेदनशील निर्णय लेने की दिशा में प्रेरित किया।

इस बैठक के अन्य प्रमुख निर्णय:

  • सामाजिक न्याय: डोमरा जाति को अनुसूचित जाति की सुविधाएं, डिहारी कोरवा, पबिया-पवीया, संसारी उरांव आदि को अनुसूचित जनजाति की छात्रवृत्तियां।
  • ऊर्जा क्षेत्र: प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना के तहत ₹15,000 से ₹30,000 तक अतिरिक्त राज्य सब्सिडी।
  • प्राकृतिक संरक्षण: छत्तीसगढ़ टाइगर फाउंडेशन सोसायटी की स्थापना।
  • स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा: "JashPure" ब्रांड को वनोपज विकास निगम को ट्रांसफर।

नीति और मानवता का संगम

शहीदों के परिवारों के प्रति यह निर्णय केवल भावनात्मक सहानुभूति नहीं, बल्कि एक ठोस नीतिगत संबल है। 

सरकार का यह कदम न्याय, समावेश और उत्तरदायित्व की उस नीति को बल देता है जिसमें ‘शहीदों को सलामी के साथ संबल भी मिले’ – यह भावना निहित है।

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