21 जून 2025 | नई दिल्ली | PIB दिल्ली द्वारा जहाँ एक ओर समुद्री सीमाओं की निगहबानी है, वहीं दूसरी ओर अब तटरक्षक बल ने अपने भीतर ‘आत्मिक स...
जहाँ एक ओर समुद्री सीमाओं की निगहबानी है, वहीं दूसरी ओर अब तटरक्षक बल ने अपने भीतर ‘आत्मिक संतुलन’ की साधना भी आरंभ कर दी है। 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर भारतीय तटरक्षक बल (ICG) ने ‘योग संगम’ के माध्यम से एक अभिनव और व्यापक अभियान चलाकर न केवल अपने कर्मियों के स्वास्थ्य की सुध ली, बल्कि देश को यह संदेश भी दिया कि सैनिक अनुशासन में योग का संबल कितना महत्त्वपूर्ण है।
21 जून 2025 को मनाए गए इस आयोजन में 60 से अधिक स्थलों पर हजारों कर्मियों और उनके परिजनों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। यह आयोजन आयुष मंत्रालय की वैश्विक थीम ‘Yoga for One Earth, One Health’ के अनुरूप था।
देशव्यापी सहभागिता और समुद्री समरसता
उत्तर पश्चिम क्षेत्र के जाखाऊ, मुंद्रा, वाडीनार, ओखा, पिपावाव, सूरत, गांधीनगर और वेरावल से लेकर पश्चिमी समुद्र तट के मुम्बई, गोवा, करवार और मंगलौर तक, योग दिवस के इस जश्न ने समंदर की लहरों जैसी गति पकड़ी।
पूर्वी तट के चेन्नई, विशाखापत्तनम, पारादीप और हल्दिया में भी ऊर्जा और उत्साह की लहरें स्पष्ट देखी गईं। दक्षिणी क्षेत्र के मंडपम और कोच्चि सहित द्वीप क्षेत्रों—पोर्ट ब्लेयर जैसे दूरदराज़ स्थानों तक यह आयोजन पहुँचा, और यह सिद्ध किया कि योग अब सीमाओं से परे एक ‘राष्ट्रीय अनुशासन’ बन चुका है।
मुख्य आयोजन: नोएडा में ‘योगिक एकाग्रता’
इस भव्य कार्यक्रम का मुख्य आयोजन ICG परिसर, नोएडा (दिल्ली NCR) में किया गया, जहाँ महानिदेशक परमेश शिवमणि ने 1,000 से अधिक प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि “उच्च दबाव वाले समुद्री सेवा क्षेत्रों में मानसिक स्पष्टता, तनाव प्रबंधन और शारीरिक सहनशीलता के लिए योग एक अनिवार्य साधन है।”
इस सत्र का नेतृत्व योग प्रशिक्षिका सुश्री वंदना गुप्ता और छह विशेषज्ञ प्रशिक्षकों की टीम ने किया। उन्होंने सरल आसनों, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से उन अभ्यासों को सिखाया, जो तटरक्षक कर्मियों के व्यस्त जीवन में सहज रूप से अपनाए जा सकते हैं।
योग: सामर्थ्य का नवआधार
‘योग संगम’ केवल शारीरिक गतिविधि नहीं, बल्कि राष्ट्र की समुद्री सुरक्षा में तैनात बल के भीतर आत्मिक संतुलन और स्वास्थ्य को पुनर्परिभाषित करने की कोशिश थी। यह आयोजन भारत के रक्षा प्रतिष्ठानों के भीतर योग की स्वीकार्यता और इसकी उपयोगिता को उजागर करता है।
इस प्रकार, जहां समुद्र के प्रहरी हर मौसम में देश की रक्षा करते हैं, वहीं अब वे योग के माध्यम से अपने भीतर भी ‘शांति का लंगर’ डाल रहे हैं।
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