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इंद्रावती के जलसंकट पर गूंजे शब्दों के स्वर, सुरेंद्र बने नारा लेखन स्पर्धा में प्रथम

इंद्रावती के जलसंकट पर गूंजे शब्दों के स्वर, सुरेंद्र बने नारा लेखन स्पर्धा में प्रथम: जगदलपुर :  इंद्रावती नदी के घटते जलस्तर और बढ़ते संकट...


इंद्रावती के जलसंकट पर गूंजे शब्दों के स्वर, सुरेंद्र बने नारा लेखन स्पर्धा में प्रथम:

जगदलपुर : इंद्रावती नदी के घटते जलस्तर और बढ़ते संकट को लेकर रविवार को नगर के सांस्कृतिक भवन में "नदी बचाओ" अभियान के अंतर्गत नारा, कविता व आलेख लेखन प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। बड़ी संख्या में विद्यार्थियों, युवाओं और साहित्य प्रेमियों ने सहभागिता कर इंद्रावती के संरक्षण की पुकार को शब्दों का स्वरूप दिया।

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था जनजागरण—नदी संकट पर समाज की सोच को उकेरना और कलम से चेतना जगाना। इस अवसर पर प्रतिभागियों ने भावपूर्ण नारे और कविताओं के माध्यम से इंद्रावती की पीड़ा को उजागर किया।


सुरेंद्र रहे नारा लेखन में अव्वल:

नारा लेखन स्पर्धा में सुरेंद्र कुमार ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। उनका नारा "इंद्रावती की पुकार सुनो, जीवन की धारा मत रोको!" ने सभी को प्रभावित किया। दूसरे स्थान पर रचना व तीसरे स्थान पर विकास रहे। निर्णायक मंडल ने नारों की सादगी, गहराई और प्रभाव को मूल्यांकित किया।


कविता लेखन में भावनाओं का सैलाब:

कविता लेखन स्पर्धा में प्रिया मिश्रा की कविता "बहती थी जो निर्बाध कभी, अब सूखी लहरों की कहानी है..." को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। अन्य विजेताओं में अरुण और स्नेहा शर्मा शामिल रहे।


विजेताओं की सूची:

नारा लेखन:

🥇 सुरेंद्र कुमार

🥈 रचना सेन

🥉 विकास यादव


कविता लेखन:

🥇 प्रिया मिश्रा

🥈 अरुण ठाकुर

🥉 स्नेहा शर्मा


आलेख लेखन:

🥇 दीपांजलि वर्मा

🥈 राहुल देव

🥉 शशांक पटेल

समापन अवसर पर मुख्य अतिथि ने कहा, “इंद्रावती केवल नदी नहीं, यह हमारी सांस्कृतिक और जैविक जीवनरेखा है। इसे बचाने का बीड़ा अब जनमानस को उठाना होगा।”

कार्यक्रम का समन्वयन "जल जीवन जन जागृति मंच" द्वारा किया गया। सभी विजेताओं को प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिह्न प्रदान किए गए।



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