"भूतों का ट्रांसफर": जिनका अस्तित्व नहीं, उन्हें मिल गई नई पोस्टिंग! सरगुजा, छत्तीसगढ़ : शिक्षा विभाग में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिय...
"भूतों का ट्रांसफर": जिनका अस्तित्व नहीं, उन्हें मिल गई नई पोस्टिंग!
सरगुजा, छत्तीसगढ़ : शिक्षा विभाग में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत सरगुजा संभाग में ऐसा हैरतअंगेज मामला सामने आया है, जिसने पूरे तंत्र की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां के संयुक्त संचालक (जेडी) ने ऐसे दो शिक्षकों को नई पदस्थापना दे दी है, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है—न तो वे वर्तमान में कार्यरत हैं और न ही उनकी कोई सेवा जानकारी मौजूद है।
👉 मुख्य बिंदु:
सरगुजा संभाग में अतिशेष शिक्षकों की सूची तैयार कर उन्हें जिला और संभाग स्तर पर स्थानांतरित किया गया।
सूची में दो ऐसे नाम शामिल थे, जिनका न तो सेवा रिकार्ड है और न ही वर्तमान में कोई उपस्थिति।
दो दर्जन से अधिक शिक्षकों को ऐसे विद्यालयों में भेजा गया है, जहां पहले से ही पद रिक्त नहीं हैं।
शिक्षकों और अधिकारियों में भ्रम की स्थिति, स्कूलों में संसाधन और स्टाफ प्रबंधन पर गंभीर असर।
📢 शिक्षकों की प्रतिक्रिया:
"हमने न कभी तबादले के लिए आवेदन दिया, न ही किसी सूचना की जानकारी थी। अब हमें बताया जा रहा है कि हमें किसी अन्य स्कूल में भेजा जा चुका है," एक शिक्षक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया।
📌 विश्लेषण:
इस मामले ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और तर्कसंगतता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। एक तरफ जहां स्कूलों में शिक्षक कम हैं, वहीं ऐसे 'भूतिया ट्रांसफर' प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करते हैं।
📝 क्या कहता है विभाग?
अब तक जेडी कार्यालय से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों से जांच की मांग की जा रही है।
📣 निष्कर्ष:
"युक्तियुक्तकरण" का उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करना था, लेकिन इस तरह की घटनाएं न केवल मजाक बन रही हैं बल्कि शिक्षा के अधिकार पर भी चोट कर रही हैं। सवाल यह है—क्या अब भूतों को भी नियुक्ति पत्र मिलेंगे?
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